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ओजोन परत संरक्षण: वैश्विक सहयोग से पर्यावरण सुरक्षा को मिला बल

हर साल 16 सितंबर को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (विश्व ओजोन दिवस) पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मानवता की एकजुटता का प्रतीक है

ओजोन परत संरक्षण: वैश्विक सहयोग से पर्यावरण सुरक्षा को मिला बल
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नई दिल्ली। हर साल 16 सितंबर को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (विश्व ओजोन दिवस) पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मानवता की एकजुटता का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1994 में विश्व ओजोन दिव की घोषणा की थी, जो 1987 में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के हस्ताक्षर की याद दिलाता है।

ओजोन परत संरक्षण दिवस, 2025 की थीम 'विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई' को दर्शाता है, जो ओजोन क्षरण की वैज्ञानिक खोज से वैश्विक प्रयासों तक की यात्रा को बताती है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह प्रोटोकॉल ओजोन परत की मरम्मत और जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो साबित करता है कि विज्ञान-आधारित सहयोग से पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना संभव है।

ओजोन परत पृथ्वी का एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों (यूवी रेज) को अवशोषित करती है। 1970 के दशक में वैज्ञानिकों ने पाया कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे मानव-निर्मित रसायन इस परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण हो रहा था। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने 197 देशों को एकजुट कर इन रसायनों के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया। परिणामस्वरूप, ओजोन परत में छेद 30 वर्षों में सिकुड़ गया है। 2016 का किगाली संशोधन एचएफसी गैसों पर भी फोकस करता है, जो ओजोन को तो नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के अनुसार, इन प्रयासों से इस शताब्दी में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सकता है।

भारत ने इस प्रोटोकॉल को पूरी गंभीरता से अपनाया है। ओजोन सेल, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत, 1995 से राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस का आयोजन कर रहा है। देश ने सीएफसी और एचसीएफसी जैसे पदार्थों का चरणबद्ध उन्मूलन किया है। 2025 में, मंत्रालय ने जागरूकता अभियान चलाए, जिसमें 'मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: भारत की सफलता की कहानी' नामक पुस्तिका जारी की गई। स्कूलों में चित्रकला प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन और वीडियो प्रसारण के माध्यम से छात्रों को ओजोन संरक्षण के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में सेमिनार आयोजित हुए, जहां विशेषज्ञों ने ओजोन और जलवायु परिवर्तन के अंतर्संबंध पर चर्चा की।

ओजोन परत की मरम्मत से 2050 तक पूर्ण पुनर्स्थापना की उम्मीद है, लेकिन अवैध रसायनों का उपयोग और प्लास्टिक प्रदूषण चुनौतियां बने हुए हैं। भारत में, जहां गर्मी की लहरें बढ़ रही हैं, ओजोन संरक्षण जलवायु अनुकूलन से जुड़ा है। सरकार ने लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) मिशन के तहत सतत जीवन शैली को बढ़ावा दिया है। स्कूलों और कॉलेजों में पोस्टर प्रदर्शनियां, सोशल मीडिया अभियान और वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उद्योगों को हरित तकनीकों अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जैसे एयर कंडीशनर में पर्यावरण-अनुकूल गैसों का उपयोग।

यह दिवस न केवल उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि भविष्य की चेतावनी भी है। ओजोन दिवस बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता को बताता है। आज, जब जलवायु संकट गहरा रहा है, 'विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई' की थीम प्रेरणा देती है कि विज्ञान को एक्शन में बदलें।


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