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नोएडा में प्रदूषण पर सख्ती: पुराने वाहन और निर्माण कार्य पर रोक

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और लगातार खराब होते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने मंगलवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तीसरे चरण के प्रतिबंध लागू कर दिए हैं

नोएडा में प्रदूषण पर सख्ती: पुराने वाहन और निर्माण कार्य पर रोक
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ग्रैप-3 लागू: नोएडा में बीएस-3 और बीएस-4 वाहनों पर प्रतिबंध

  • वायु गुणवत्ता बिगड़ी, नोएडा में निर्माण कार्य और डीजल वाहनों पर पाबंदी
  • प्रदूषण नियंत्रण के लिए नोएडा प्रशासन का बड़ा कदम, सख्त गाइडलाइंस लागू
  • नोएडा में प्रदूषण अलर्ट: निर्माण बंद, पुराने वाहन सड़कों से बाहर

नोएडा। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और लगातार खराब होते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने मंगलवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तीसरे चरण के प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।

इस स्तर को तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता 'सीवियर’ श्रेणी में पहुंच जाती है, यानी हवा में प्रदूषक तत्वों का स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है। ग्रैप का तीसरा चरण लागू होने के साथ ही नोएडा प्राधिकरण ने शहर में कई कड़ी पाबंदियों की घोषणा की है।

आदेश के अनुसार, नोएडा क्षेत्र में मेट्रो, अस्पताल और फ्लाईओवर से जुड़ी परियोजनाओं को छोड़कर बाकी सभी निर्माण कार्य तुरंत बंद कर दिए जाएंगे। धूल और प्रदूषक कणों की बड़ी मात्रा निर्माण गतिविधियों से फैलती है, इसलिए यह प्रतिबंध वायु गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साथ ही, नोएडा में चलने वाले बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल के चार पहिया वाहन प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।

इसके अलावा, शहर में कंक्रीट मिश्रण (आरएमसी) प्लांट और स्टोन क्रशर भी अगले आदेश तक बंद रहेंगे, क्योंकि ये धूल और कणीय पदार्थ (पीएम) को हवा में बड़े पैमाने पर फैलाते हैं। इसी तरह भवनों के ध्वस्तीकरण (डिमोलिशन) पर भी पूर्ण रोक लगा दी गई है।

नोएडा प्राधिकरण ने आम नागरिकों, संस्थाओं और क्षेत्र में कार्य कर रही सभी एजेंसियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि ग्रेप-3 और सीएक्यूएम की सभी गाइडलाइनों का पालन अनिवार्य है। उल्लंघन करने वाले पर नियमों के अनुसार कार्रवाई और आर्थिक दंड लगाया जाएगा।

अधिकारियों ने यह भी अपील की है कि लोग निजी वाहनों का कम से कम उपयोग करें और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें, ताकि प्रदूषण और न बढ़े।

बता दें कि दिल्ली–एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रदूषण बढ़ता है और हवा ठंडी होने से धुआं व सूक्ष्म कण जमीन की सतह के पास जमा होने लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि नागरिक और एजेंसियाँ मिलकर इन निर्देशों का पालन करें, तो एयर क्वालिटी में सुधार संभव है।


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