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उत्तराखंड के अल्मोड़ा में खुलेगा नेचुरल फाइबर सेंटर

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों से प्राकृतिक रेशा (नेचुरल फाइबर) तैयार करने और इस पर शोध करने के लिए देश का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जाने की कवायद चल रही

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में खुलेगा नेचुरल फाइबर सेंटर
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देहरादून। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों से प्राकृतिक रेशा (नेचुरल फाइबर) तैयार करने और इस पर शोध करने के लिए देश का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जाने की कवायद चल रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एक एकड़ भूमि वस्त्र मंत्रालय को स्थानांतरित भी कर दी है। हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों से प्राकृतिक रेशा (नेचुरल फाइबर) तैयार करने और इस पर शोध करने के लिए इस केन्द्र की स्थपना की जा रही है।

उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने बताया, "उत्तराखंडी कंडाली, भांग, भीमल, रामबांस, भाबर घास के रेशे से तैयार कपड़ों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है। इसे लोग बहुत पसंद करते हैं और लेने के लिए लालयित रहते हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।"

उन्होंने बताया कि नेचुरल फाइबर केंद्र की स्थापना से राज्य में उपलब्ध विशेष संसाधनों के आधार पर उद्योगों की स्थापना और निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। वहीं, स्थानीय लोगों को नेचुरल फाइबर से आय प्राप्त होगी।

उन्होंने बताया, "पूरे उत्तराखंड में 95 प्रतिशत से अधिक वनस्पतियां रेशा प्रजाति की पाई जाती हैं। प्रदेश में उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद ने कुछ प्रजातियों को व्यवसायिक तौर पर चिह्नित किया है। इसी के आधार पर इस कदम को आगे बढ़ाया जा रहा है।"

वस्त्र मंत्रालय ने सेंटर निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। इस सेंटर को नॉर्दन इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (न्रिटा) के माध्यम से स्थापित किया जाएगा।

पिछले दिनों कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने पर्यटन, कृषि, संस्कृति विभाग और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान इस केन्द्र को पर्यटन और संस्कृति की दृष्टि से विकसित करने पर जोर दिया था ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को नेचुरल फाइबर से तैयार उत्पादों के प्रति आकर्षित किया जा सके। नेचुरल फाइबर को बढ़ावा मिलने से पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को आजीविका के संसाधन मिलेंगे। उसी के बाद से इसकी रूपरेखा बनाकर सरकार को प्रस्तुत की गई। अब इसे आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य चल रहा है।


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