आरसीईपी के समझौते के खिलाफ किसानों का देशव्यापी रोष प्रदर्शन 24 को
केंद्र सरकार की ओर से क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागेदारी (आरसीईपी) समझौते को लेकर किए जा रहे समझौते के खिलाफ किसानों का देशव्यापी रोष प्रदर्शन गुरूवार, 24 अक्तूबर को होगा

चंडीगढ़। केंद्र सरकार की ओर से क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागेदारी (आरसीईपी) समझौते को लेकर किए जा रहे समझौते के खिलाफ किसानों का देशव्यापी रोष प्रदर्शन गुरूवार, 24 अक्तूबर को होगा।
यहां किसान भवन में भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में आयोजित किसान पंचायत में आज यह निर्णय लिया गया। किसान नेताओं ने कहा कि आरसीईपी समझौते को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
किसान पंचायत की अध्यक्षता पंजाब प्रदेश के अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल व हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष रतनमान ने संयुक्त रूप से की। पंचायत में पंजाब व हरियाणा के किसानों ने भाग लिया। प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि इस समझौते के विरोध में पूरे देश के किसान 24 अक्तूबर को रोष जाहिर करेंगे और इसी दिन सभी जिलों में उपायुक्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नाम ज्ञापन सौंप कर अपनी आपत्ति दर्ज करवाएंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 24 अक्तूबर को मतगणना होने की वजह से वहां प्रदर्शन 25 अक्तूबर को किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आरसीईपी के समझौता होने के बाद अधिकांश कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करके शून्य कर दिया जाएगा। इस समझौते की आढ़ में विश्व में कई देश भारत में अपनी कृषि उपज को खपाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी वजह से भारतीय किसान बर्बाद हो जाएगा। खासतौर पर डेयरी क्षेत्र में जो हमारे लाखों सीमांत किसान महिलाओं की जो आजीविका का जरिया है, वह चौपट हो जाएगा क्योंकि विश्व के कई देशों में उनकी सरकारे किसानों को भारी मात्रा में सब्सिडी देती हैं जबकि भारत में उन देशों के मुकाबले में किसान को सब्सिडी नहीं दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि इसलिए भारत का किसान विश्व बाजार में मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। श्री रतनमान ने कहा कि इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के साथ बैठक करके आरसीईपी के समझौते पर बात करनी चाहिए, क्योंकि यह समझौता किसानों के हितों के साथ जुड़ा हुआ है।
लखोवाल ने कहा कि हमारे किसानों और कृषि पर इसके बुरे अनुभवों के साथ-साथ पूर्व में मुक्त व्यापार समझौते के हमारे अनुभवों के चलते आरसीईपी मेगा व्यापार समझौता और भी ज्यादा खतरनाक साबित होगा। सर्वविदित है कि इस समझौते में शामिल 15 देशों में से भारत सहित 11 देश व्यापार घाटे से जूझ रहे हैं। इसलिए इस समझौते को बिलकुल भी सहन नहीं किया जाएगा।


