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काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि, मोहन भागवत बोले- हर नागरिक को स्वयंसेवक बनना चाहिए

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में लोक हितकारी स्वर्गीय काशीनाथ गोरे के स्मारिका का विमोचन करने सिम्स ऑडिटोरियम पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सबसे पहले भारतमाता की तस्वीर पर पुष्प अर्पण कर नमन किया

काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि, मोहन भागवत बोले- हर नागरिक को स्वयंसेवक बनना चाहिए
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काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि देकर बोले मोहन भागवत, सभी को स्वयंसेवक होना चाहिए

  • संघ प्रमुख ने किया स्मारिका विमोचन, कहा- ‘वसुधैव कुटुंब’ की भावना ही स्वयंसेवक की पहचान
  • मोहन भागवत की प्रेरणा: अनुशासन, सेवा और समर्पण से ही बनता है सच्चा स्वयंसेवक

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में लोक हितकारी स्वर्गीय काशीनाथ गोरे के स्मारिका का विमोचन करने सिम्स ऑडिटोरियम पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सबसे पहले भारतमाता की तस्वीर पर पुष्प अर्पण कर नमन किया। इसके बाद मोहन भागवत ने स्मारिका का विमोचन किया।

संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि दी। उनके लोकहित कार्यों को स्मरण किया और उन्होंने कहा कि आजकल आरएसएस के 100 साल की चर्चा होती है पर ये 100 साल यहां तक कैसे पहुंचे, लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। सभी बाधाओं के साथ स्वयंसेवकों ने अपने संपर्क को बढ़ाया और संघ आगे बढ़ा। उन्होंने शुद्ध, कर्मठ और अनुशासन के साथ लगातार लोगों के संपर्क में रहकर स्वयं सेवा कर अपने कुटुंब को बढ़ाया। अपना कुटुंब पहले अपने घर से, फिर पड़ोस और उसके बाद देश और फिर इसलिए हम कहते हैं 'वसुधैव कुटुम्ब'। ऐसा होता है स्वयंसेवक।

उन्होंने कहा कि काशीनाथ भी एक लोकहितकारी स्वयंसेवक थे। उन्होंने हर जगह अपना धर्म निभाया। संघ प्रमुख ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हर कोई काशीनाथ बन जाए, पर सभी को स्वयंसेवक होना चाहिए।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्वर्गीय काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि दी और उनका स्मरण कर पुरानी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि जब वे प्रैक्टिसिंग डॉक्टर थे तब काशीनाथ पहुंचे और उन्हें एक देवार मोहल्ले ले जाकर एक ठेले में बैठा दिया, जहां चारों ओर सूअर ही सूअर थे।

उन्होंने कहा कि प्रैक्टिस करके शनिवार को वहां जाता था और वहां के बच्चों एवं लोगों के लिए इलाज का प्रबंध करता था। उसके बाद से उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि उस दिन से लोग मुझे शनिचर डॉक्टर कहने लगे। उस दिन से मेरा भाग्य जाग गया।


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