लोकसभा में परमाण ऊर्जा का सतत दोहन और वृद्धि विधेयक, 2025 हुआ पारित, 1 साल तक गंभीर विचार विमर्श के बाद लाया गया विधेयक
लोकसभा में बुधवार को परमाणु ऊर्जा के विकास और उसके सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के बदलाव के लिए परमाण ऊर्जा का सतत दोहन और वृद्धि विधेयक, 2025 (शांति विधेयक) पारित किया गया

लोकसभा से परमाण ऊर्जा का सतत दोहन और वृद्धि विधेयक, 2025 पारित
नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को परमाणु ऊर्जा के विकास और उसके सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के बदलाव के लिए परमाण ऊर्जा का सतत दोहन और वृद्धि विधेयक, 2025 (शांति विधेयक) पारित किया गया।
परमाणु ऊर्जा विभाग में राज्य मंत्री डा जितेन्द्र सिंह ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित, संरक्षित और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नियामक ढांचे की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
डा. सिंह ने विपक्ष के सुरक्षा मानकों को लेकर लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक में सुरक्षा मानकों के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं किया गया है। यह विधेयक देश में परमाणु ऊर्जा के विकास और उसके सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है। इस विधेयक में प्रत्येक हितधारकों का ध्यान रखा गया है और सुरक्षा मानकों को कठोर बनाया गया है। इसमें संविधान द्वारा प्रदत्त किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें परमाणु ऊर्जा को वैश्विक रूप दिया गया है। इसमें विकास और अनुसंधान के लिए एक लाख करोड़ का प्रावधान किया है। भारत अब किसी का अनुसरण नहीं करता है वह दूसरों को अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने कहा कि समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर विधेयक लाया गया है। विपक्ष की ओर से बार-बार कहा गया कि सरकार ने रियेक्टर को इशोरेंस कवर से बाहर रखा है जबकि पहले परमाणु संयंत्र को जब स्थापित किया गया था तब भी उसे भी इशोरेंस कवर में नहीं रखा गया था। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से इसे और मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो हमें इस क्षेत्र में अधिक काम करने की जरूरत है। इससे परमाणु ऊर्जा के माध्यम से ही हमें ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अपने संसाधनों को बढाने के लिए इसमें परिवर्तन करने की जरूरत है। एक साल तक गंभीर विचार विमर्श करने के बाद इस विधेयक को लाया गया गया।
डा सिंह ने कहा कि सुरक्षा उपाय के बारे में विपक्ष सवाल खड़े कर रहे हैं जबकि पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय से इसका प्रावधान है। जो प्रावधान वर्तमान समय के लिए जरूरी है उसे ही विधेयक में जोड़ा गया है जबकि बाकी प्रावधान पहले के हैं। सरकार ने जीने को आसान बनाने के लिए किस प्रकार परमाणु ऊर्जा के लिए उपयोग किया जा सके उसी दिशा में काम कर रही है। इसका मकसद शांति है। सारे प्रावधान 1962 वाले ही है जो पंडित नेहरू छोड़ गये थे।
उन्होंने कहा कि 2010 और 2025 के बीच तकनीक में बहुत बड़े बदलाव आये हैं। इसमें निजी क्षेत्र को अनुमति दी गयी जो स्वच्छ ऊर्जा बढाने में मददगार साबित होगा। परिदृश्य बदल गया इसलिए विधेयक को लाया गया है।


