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ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 27 नवंबर से, राष्ट्रपति मुर्मू देंगी पहला अभिभाषण

ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 27 नवंबर को शुरू होगा। सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ होगी

ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 27 नवंबर से, राष्ट्रपति मुर्मू देंगी पहला अभिभाषण
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ओडिशा विधानसभा में पहला संबोधन, शीतकालीन सत्र होगा शुरू

  • ओडिशा विधानसभा का पांचवां सत्र 27 नवंबर से, 29 कार्य दिवस तक चलेगा
  • शीतकालीन सत्र में तीखी बहस की संभावना, विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में
  • ओडिशा विधानसभा में 28 नवंबर को पेश होगा अनुपूरक बजट, 8 दिसंबर को विनियोग विधेयक

भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 27 नवंबर को शुरू होगा। सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ होगी। राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद यह ओडिशा विधानसभा को उनका पहला संबोधन होगा।

बता दें कि भारत के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने से पहले द्रौपदी मुर्मू 2000 से 2009 के बीच मयूरभंज जिले के रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा की सदस्य के रूप में दो कार्यकालों तक कार्यरत रहीं।

इस दौरान उन्होंने वाणिज्य एवं परिवहन तथा मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास विभाग के मंत्री के रूप में विभिन्न विभागों का कार्यभार भी संभाला।

विधानसभा सूत्रों के अनुसार, 17वीं ओडिशा विधानसभा का पांचवां सत्र 29 कार्य दिवसों तक चलेगा और 31 दिसंबर को समाप्त होगा।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण (बजट) 28 नवंबर को सदन में प्रस्तुत किया जाएगा।

इसके बाद, प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण से संबंधित विनियोग विधेयक 8 दिसंबर को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

एक बार पारित होने के बाद, यह राज्य सरकार को अनुपूरक आवंटनों को लागू करने के लिए ओडिशा की समेकित निधि से स्वीकृत अतिरिक्त धनराशि निकालने का अधिकार देगा।

राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों, बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस के बीच विभिन्न मुद्दों पर तीखी बहस होने की संभावना है।

विपक्ष द्वारा सदन में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, राज्य में बढ़ती अपराधिक घटनाओं, रथ यात्रा भगदड़ की जांच रिपोर्ट आदि जैसे मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरने की संभावना है।

विधानसभा का मानसून सत्र, जो मूल रूप से सात कार्यदिवसों के लिए निर्धारित था, विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच, अपने निर्धारित समापन से एक दिन पहले ही 24 सितंबर को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।


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