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गुरदीप सिंह सप्पल का आरोप: भाजपा सत्ता के लिए खरीद-फरोख्त में लिप्त

संविधान संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विधेयक को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है

गुरदीप सिंह सप्पल का आरोप: भाजपा सत्ता के लिए खरीद-फरोख्त में लिप्त
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संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष का तीखा विरोध

  • सपा और टीएमसी ने जेपीसी से किया किनारा, लोकतंत्र पर खतरे की आशंका
  • नदवी बोले: देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा, गरीबों के अधिकार छीने जा रहे
  • असम में बेदखली अभियान पर सवाल, सरकार से संवेदनशीलता की मांग
  • संविधान के मूल अधिकारों की रक्षा को लेकर विपक्ष ने उठाई आवाज

नई दिल्ली। संविधान संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विधेयक को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले 10-11 वर्षों में भाजपा ने कई राज्यों में सत्ता हासिल करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए हैं।

गुरदीप सिंह सप्पल ने महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड, मिजोरम और मेघालय का उदाहरण देते हुए कहा, "कितने राज्यों में भाजपा ने विधायकों को खरीदा है? वे किसी भी तरह से सत्ता को हथियाना चाहते हैं। इसके लिए वे कॉन्स्टेबल तक को झूठे मामले बनाने और गिरफ्तारियां करने की जिम्मेदारी सौंपते हैं।"

वहीं, संविधान संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल होने से टीएमसी और सपा के इनकार पर सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है। साथ ही यह बिल संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में लोगों की आवाज को दबाया गया है और देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। किसानों और गरीबों के अधिकार छीने जा रहे हैं, जिससे ऐसी आशंकाएं पैदा हो रही हैं।"

नदवी ने आगे कहा कि लोकतंत्र का मतलब 26 जनवरी 1950 को अपनाए गए संविधान को लागू करना है, जो सभी को समान अधिकार देता है।

उन्होंने कहा, "आजादी के बाद सबसे बड़ा फैसला लोकतंत्र को बनाए रखना था। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत सभी धर्मों और समुदायों को समान अधिकार मिले हैं, और इन्हें लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है।"

नदवी ने असम में चल रहे बेदखली अभियान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार का काम असहाय लोगों को बसाना और उनकी मदद करना है, न कि उन्हें उजाड़ना।

उन्होंने कहा, "चाहे लोग साठ-सत्तर साल से नागरिकता से वंचित हों या उनकी जमीन का दाखिल खारिज न हुआ हो, सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि अपने नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करे। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।"


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