नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने की अंतर मंत्रालयी बैठक
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पर आधारित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के विकास के लिए व्यापक परामर्श को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया जारी है

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पर आधारित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के विकास के लिए व्यापक परामर्श को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया जारी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस विषय पर भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों के साथ एक बैठक की है। इस बैठक में एनसीईआरटी, भारतीय निर्वाचन आयोग, आईसीएआर, डीआरडीओ सहित प्रमुख संस्थाएं भी शामिल रहीं।
इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्रालय में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करवाल ने की। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि मंत्रालय और विभिन्न संगठन, नेशनल करिकुलम के विकास में कैसे अंशदान कर सकते हैं।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों को सबसे पहले एक प्रस्तुतीकरण पेश किया गया। इसमें बताया गया कि पाठ्यक्रम की रूपरेखा को कैसे तैयार किया गया है, इससे क्या परिणाम हासिल होते हैं और उनसे क्या अपेक्षा की जाती है। इसके बाद तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी, नवाचार की आवश्यकता और नए विचारों का सृजन जैसे अंशदान वाले क्षेत्रों, जलवायु परिवर्तन, भविष्य की कौशल आवश्यकताओं जैसे अहम क्षेत्रों पर बल देने की जरूरत के बारे में बताया गया। साथ ही बताया गया कि फ्रेमवर्क कृषि विकास, भारतीय ज्ञान जैसे अहम क्षेत्र जहां भारत गर्व की भावना पैदा करने में अग्रणी है। इसके अंतर्गत समावेशन के लिए सहायक प्रौद्योगिकी, वास्तविक जीवन की जानकारी के साथ विषय ज्ञान को समृद्ध करना, बहुभाषावाद को प्रोत्साहन देना, खेल, फिटनेस, कला आदि के एकीकरण पर विचार विमर्श किया गया।
मंत्रालयों से प्राप्त जानकारियों से विभिन्न चरणों के दौरान एनसीएफ में प्रासंगिक क्षेत्रों, कौशल और क्षमताओं की पहचान तथा एकीकरण में सहायता मिलेगी। यह भी चर्चा की गई कि अगर मंत्रालय स्कूल शिक्षा क्षेत्र के साथ भागीदारी के द्वारा चुनिंदा विचारों को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका का भी उल्लेख करें तो इससे खासी सहायता मिलेगी।
एनसीएफ के लक्ष्य वाले क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की गई। इनमें बचपन देखभाल और शिक्षा, मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता, क्षमता आधारित शिक्षा, माध्यमिक कक्षाओं में विषयों को चुनने का लचीलापन शामिल है। पाठ्यक्रम की मूल अनिवार्यता में कमी, व्यावसायिक शिक्षा की पुनर्कल्पना, मूल कौशल और सामग्री की पहचान 20 के माध्यम से की जाएगी। समावेशी शिक्षा, बहुभाषावाद, भारत के ज्ञान का एकीकरण, नागरिकता, राष्ट्रीय विरासत की सराहना जैसे मूल्यों मूल्यों को इसके माध्यम से उभारा जाएगा। करिकुलम फ्रेमवर्क में सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान, बुजुर्गों की देखभाल, सेवा भावना, प्रतिभाशाली बच्चों की जरूरतें, अनुभवात्मक शिक्षा, कला और शिल्प का एकीकरण, खिलौने, स्वास्थ्य एवं कल्याण, खेल और शारीरिक शिक्षा मार्गदर्शन तथा परामर्श, सामुदायिक भागीदारी आदि शामिल हैं।
नए एनसीएफ को तैयार करने में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्य की गंभीरता को देखते हुए, प्रतिभागियों ने इस पर अपने विचार साझा किए कि वे कैसे इस प्रक्रिया में अंशदान में सक्षम होंगे। इस दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नवाचार इकोसिस्टम के दोहन, खाद्य पदार्थों को पैदा करने के लिए कृषि में किए जा रहे प्रयासों को समझना, स्कूलों में नामांकन और उनकी पढ़ाई निरंतर सुनिश्चित करने में ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका, शुरूआती वर्षों में स्वयंसेवा को अपनाने के महत्व, हर बच्चे को शारीरिक स्वास्थ्य एवं खुशहाली से संबंधित गतिविधियों में भागीदारी पर जोर, दिव्यांग बच्चों पर ध्यान देने, कम उम्र से ही नई प्रौद्योगिकी से रूबरू कराने आदि पर भी चर्चा की गई।
यह फैसला लिया गया कि सभी मंत्रालय जल्द ही राष्ट्रीय संचालन समिति और एनसीईआरटी की जानकारी के लिए इनपुट भेजेंगे। अंत में मंत्रालयों से एनसीईआरटी द्वारा पर कराए जा रहे वेब ऐप आधारित नागरिक सर्वेक्षण में खुलकर भाग लेने और इसके प्रसार का भी अनुरोध किया गया। इसमें 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में प्रश्न उपलब्ध हैं।


