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सिंचाई क्षमता बढ़ाने में नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का योगदान

मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों में सिंचाई क्षमता बढ़ाने में बीते साल से नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का सक्रिय योगदान मिलने लगा है।

सिंचाई क्षमता बढ़ाने में नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का योगदान
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भोपाल। मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों में सिंचाई क्षमता बढ़ाने में बीते साल से नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का सक्रिय योगदान मिलने लगा है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने इतने कम समय में इन परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देकर खासतौर से कृषि क्षेत्र को सिंचित कर कृषि पैदावार बढ़ाने, सिंचित कृषि से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और प्रदेश के शहरों, कस्बों और गॉवों में पीने के पानी की कमी को दूर करने का उपक्रम किया है। साथ ही जल विद्युत क्षमता में वृद्धि के भी प्रयास किए गये हैँ।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की परियोजनाओं से पिछले साल 4 लाख 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों को सिंचाई उपलब्ध कराई गई। इस वर्ष रबी सीजन में 5 लाख 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। नई सरकार ने सितम्बर 2019 में खरगोन जिले में 5 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की बलवाड़ा माईक्रो सिंचाई परियोजना पूर्ण कराई है। इससे 2.5 हेक्टेयर चक पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले एक वर्ष से मध्यप्रदेश को आवंटित 18.25 एमएएफ नर्मदा जल के वर्ष 2024 के पूर्व उपयोग के लिए नर्मदा घाटी योजनाओं के कार्य तेजी से पूर्ण कराये जा रहे हैं।

प्रदेश में अगस्त 2019 से लगभग 14 हजार करोड़ रूपये लागत की 8 परियोजनाओं के लिए निविदा पद्धति से एजेंसी निर्धारण की कार्यवाही अब पूर्णता पर है। इन परियोजनाओं के कार्य शीघ्र आरंभ किये जाएंगे। इनसे 4 लाख 3 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा निर्मित होगी। इनमें से शाजापुर एवं राजगढ़ जिले में एक लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की कालीसिंध चरण-2 परियोजना की लागत 4408 करोड़ रूपये है। सीहोर एवं शाजापुर जिले में एक लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की नर्मदा-पार्वती चरण 3 एवं 4 परियोजना की लागत 4132 करोड़ रूपये है। खरगोन जिले में 35 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की खालवा परियोजना की लागत 730 करोड़ रूपये और 17 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की पीपरी परियोजना की लागत 293 करोड़ रूपये है। धार एवं अलीराजपुर जिले में 47 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की 1128 करोड़ रूपये लागत की डही परियोजना संचालित है। बड़वानी जिले में 5 हजार 500 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की पाटी परियोजना की लागत 129 करोड़ रूपये है। धार जिले में 50 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की बदनावर परियोजना की लागत 1521 करोड़ रूपये है। होशंगाबाद, हरदा एवं खण्डवा जिले में 48 हजार 800 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की मोरण्ड गंजाल परियोजना की लागत 2813 करोड़ रूपये है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जुलाई में नर्मदा बेसिन में जल भण्डारण एवं जल उपयोग की विस्तृत समीक्षा की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब नर्मदा नदी से सीधे पानी लेकर सिंचाई के लिए योजनाएँ बनाई जा रही हैं तथा जल भण्डारण की आवश्यकता को ध्यान रखकर बांध परियोजनाओं को भी प्राथामिकता से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस अनुक्रम में मोरण्ड–गंजाल बांधों के निर्माण कार्य के निविदाएँ भी बुलाई गई हैं। एजेंसी निर्धारित कर ये कार्य शीघ्र आरंभ किये जाएंगे। डिण्डोरी जिले में 36 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए अपर नर्मदा बांध परियोजना, नरसिंहपुर जिले में 60 हजार हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए शक्कर बांध परियोजना के कार्यों के लिए भी शीघ्र निविदाएँ आमंत्रित की जा रही हैं।

आदिवासी क्षेत्र के लिये नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा प्राथमिकता से योजनाएँ बनाई जा रही हैं। इसी तारतम्य में 75 हजार हैक्टेयर सिंचाई क्षमता की कुक्षी माईक्रो सिंचाई परियोजना के निर्माण कार्य के लिए शीघ्र निविदा आमंत्रित की जा रही है। इसके अलावा प्रशासकीय स्वीकृति के बाद क्रियान्वयन के लिए 6 परियोजनाओं के डीपीआर प्राथमिकता से तैयार किये जा रहे हैं।

इनमें राघवपुर परियोजना : सिंचाई क्षमता 26000 हेक्टेयर, लाभान्वित जिला डिण्डौरी। बसानिया परियोजना : सिंचाई क्षमता 8480 हेक्टेयर, लाभान्वित जिला डिण्डौरी एवं मण्डला। शक्कर परियोजना : सिंचाई क्षमता 64000 हेक्टेयर, लाभान्वित जिला नरसिंहपुर। चिंकी-बोरास परियोजना : सिंचाई क्षमता 131000 हेक्टेयर, लाभान्वित जिला नरसिंहपुर एवं रायसेन। हांडिया बांध परियोजना : लाभांवित सिंचाई क्षमता 25000 हेक्टेयर जिला हरदा, तथा होशंगाबाद परियोजना। यह परियोजना मुलत: जल भण्डारण के लिये परिकल्पित है। इससे सिंचाई की संभावना का भी परीक्षण किया जा रहा है।


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