नरेंद्र मोदी के सामने पाकिस्तान की आईएसआई से निपटने का यक्ष प्रश्न
पाकिस्तानी सेना उस धार्मिक व्यवस्था का एक 'अभिन्न अंग' है जो पाकिस्तानी दिमाग पर राज करती है, जिसमें 'दो-राष्ट्र्र सिद्धांत' गहराई से समाया हुआ है

- सुशील कुट्टी
पाकिस्तानी सेना उस धार्मिक व्यवस्था का एक 'अभिन्न अंग' है जो पाकिस्तानी दिमाग पर राज करती है, जिसमें 'दो-राष्ट्र्र सिद्धांत' गहराई से समाया हुआ है। पाकिस्तानी अखबार ने पहलगाम को 'पर्यटक आकर्षण का केंद्र' और '2000 के बाद से नागरिकों पर सबसे घातक हमला' कहा। मारे गये लोगों में एक भारतीय नौसेना अधिकारी और भारतीय सेना का एक अरुणाचली सैनिक शामिल था।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से प्रेरित 'मुस्लिम आतंकवादियों' द्वारा कश्मीर के दर्शनीय 'पहलगाम' में 'पर्यटक' हिंदू भारतीय पुरुषों की गोली मारकर हत्या करने के एक दिन बाद बुधवार को पाकिस्तान ने भारत में हुई त्रासदी के लिए सहानुभूति जताते हुए 'पर्यटकों की जान जाने पर चिंता' व्यक्त की, एक पाकिस्तानी अखबार ने रिपोर्ट की।
जनरल असीम मुनीर की संक्षिप्त जीवनी में कहा गया है कि वे 'दो-राष्ट्र सिद्धांत' के पक्षधर हैं। 10 दिन पहले ही जनरल मुनीर ने 'दो-राष्ट्र सिद्धांत' और हिंदू-मुस्लिम अलगाव की बात की थी और 22 अप्रैल को पहलगाम की घटना हुई। मुनीर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से परेशानी है। इसके अलावा, अमेरिकी मीडिया में कुछ समय पहले आयी खबरों में बताया गया था कि पाक कॉकस से जुड़े कुछ कांग्रेसियों ने मुनीर को संवेदनशील पद से हटाने की मांग की थी। कई विशेषज्ञों का कहना है कि क्या पहलगाम में हत्याएं उनकी सत्ता के दावे का हिस्सा थी?
आतंकवादियों ने 26 हिंदू पुरुषों को उनकी स्तब्ध पत्नियों के सामने पैंट नीचे करने का आदेश देने के बाद गोली मारने से पहले हिंदू चमड़ी की जांच की। इसे पुष्टि, तथ्य-जांच कहते हैं!
पाकिस्तानी अखबार ने पीड़ितों को 'भारत-अधिकृत कश्मीर में लोकप्रिय गंतव्य के आगंतुक' कहा। अखबार,अनेक अन्य पाकिस्तारनियों की तरह मानता है कि मुस्लिम बहुल जम्मू और कश्मीर एक नासूर 'विवाद' है जबकि भारत कश्मीर को 'अभिन्न अंग' कहता है।
पाकिस्तानी सेना उस धार्मिक व्यवस्था का एक 'अभिन्न अंग' है जो पाकिस्तानी दिमाग पर राज करती है, जिसमें 'दो-राष्ट्र्र सिद्धांत' गहराई से समाया हुआ है। पाकिस्तानी अखबार ने पहलगाम को 'पर्यटक आकर्षण का केंद्र' और '2000 के बाद से नागरिकों पर सबसे घातक हमला' कहा। मारे गये लोगों में एक भारतीय नौसेना अधिकारी और भारतीय सेना का एक अरुणाचली सैनिक शामिल था।
पाकिस्तान ने संवेदना व्यक्त की। क्या पाकिस्तान चीफ जनरल असीम मुनीर का सिर थाली में परोस कर देगा? ध्यान रहे, 'बदला' अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी समस्या है। मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में ही रोक दिया और भारत के मुख्यधारा के टेलीविजन मीडिया ने इसे मोदी के इतिहास का सबसे बड़ा बलिदान करार दिया।
प्रधानमंत्री मोदी के पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है। अगर वे सऊदी अरब की यात्रा पर पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष होते और पहलगाम में कोई घटना होती, तो उन्हें सऊदी अरब में शरण मिल सकती थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा को बीच में ही रोककर वापस भारत आने का फैसला किया और गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर जाने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी के पास बचने का कोई रास्ता नहीं है।
अमित शाह को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक हफ़्ते पहले ही शाह सुरक्षा समीक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर में थे और फिर सुरक्षा भंग हो गई! सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन सवालों को 'गोदी मीडिया' की सुरक्षा से परे जाना होगा। यह एक बार फिर पुलवामा जैसा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय फिल्म की शूटिंग के लिए उतने ही दूर थे।
26 मई, 2014 से ही प्रधानमंत्री के कंधे पर एक अपशकुन सवार है। क्या किसी ने इसे 'पनौती' नहीं कहा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'मोदी है तो मुमकिन है' की किंवदंती के सामने खड़ा होना होगा। आतंकवादियों ने मारे गये लोगों की 'पत्नियों' से कहा कि 'जाओ मोदी से कहो' , यह खून जमा देने वाला संदेश मोदी के लिए माहौल तैयार करता है।
तो, प्रधानमंत्री मोदी को बता दिया गया है। अब क्या? यह भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के लिए चुनौती है, जिसके मोदी बहुत करीब हैं। मोदी को अपने मन में सीमा पार करनी है और मोदी 'भारत द्वारा चुनी गयी जगह और समय' के पीछे छिप नहीं सकते। वह बहाना अब खत्म हो चुका है। यह समय 'विशेष' है। यहां तक कि सबसे ज़्यादा चापलूसी करने वाला 'मोदी भक्त' भी बदला मांग रहा है।
क्या प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर साबित कर देंगे कि वे सिफ़र् बकवास करने वाले नहीं हैं; कि वे वाघा के इस तरफ़ से सुनी जाने वाली पाकिस्तानी बातों से मूर्ख नहीं बनते, जब भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी कश्मीर में घुसते हैं?
पहलगाम श्रीनगर से 90 किलोमीटर दूर है और हिंदू पर्यटकों की आतंकवादी हत्याओं के एक घंटे के भीतर पहलगाम 'पर्यटक-मुक्त' हो गया था। एक पल में हज़ारों हिंदू पर्यटक मौज-मस्ती कर रहे थे और आतंकवादी हमले के तुरंत बाद हज़ारों की संख्या में 'पलायन' हो गया, ठीक वैसे ही जैसे 1989-90 में हुआ था, जब 'कश्मीरी पंडित' सुरंग के अंत की रोशनी की तरफ पलायन कर गये थे!
भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण का क्या हुआ? पहलगाम 2025, 5 अगस्त, 2019 पर एक काला धब्बा है। पर्यटकों की संख्या स्टेरॉयड पर एड्रेनालाईन की तरह बढ़ गयी थी, और सुरक्षा का स्तर एक नयी ऊंचाई पर पहुंच गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने श्रीनगर के लाल चौक पर 'स्नोबॉल' खेला!
सारी मेहनत पहलगाम में बेकार चली गयी। कश्मीर फिर से पहले जैसी स्थिति में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कुछ भी कहते हैं, उससे कश्मीर को उस रसातल से बाहर निकालने में मदद नहीं मिलेगी, जिसमें वह गिर गया है। अनेक सवाल हैं, और सबसे असहज सवाल भी। मोदी समर्थक मीडिया को 'मोदी महिमा मंडन' तुरंत बंद कर देना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी को काम करना होगा या फिर पीछे हटना होगा। 'मोदी है तो मुमकिन है' की टैगलाइन धराशायी हो गयी है। अपने मारे गये पति के शव के बगल में बुद्ध की तरह बैठी नई युवा विधवा की तस्वीर, सड़ांध का प्रतीक और प्रतीकात्मक है। 'मोदी को यह बताओ' कहा गया। वह आतंकवादी है और मोदी को बता दिया गया है कि वह क्या करने जा रहा है; क्या वह कुछ करेगा?


