नोट फैला रहे हैं बीमारियां, वित्त मंत्री से इलाज की गुहार
इसे सौ फीसदी सच माने या नहीं लेकिन एक शोध से पता चला है कि हर व्यक्ति करेंसी नोट के रूप में अपने साथ बीमारियां लेकरचलता है

नई दिल्ली। इसे सौ फीसदी सच माने या नहीं लेकिन एक शोध से पता चला है कि
हर व्यक्ति करेंसी नोट के रूप में अपने साथ बीमारियां लेकरचलता है - यह सोचना भी डरावना है किन्तु हाल में प्रकाशित विभिन्न शोध रिपोर्ट यही कहती हैं की करेंसी नोट केजरिये बीमारियां फैलती हैं ।
स्वास्थय से सम्बंधित इस गंभीर मुद्दे पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री अरुणजेटली को एक पत्र भेजकर विभिन्न शोध रिपोर्ट का हवाला देतेहुए आग्रह किया है की इस विषय पर एक विस्तृत्त जांच कराकर सही तस्वीर सामने ले जाए और लोगों को करेंसी नोट केजरिये होने वाली बिमारियों से बचाने के लिए कारगर उपायकिये जाएँ ! कैट ने पत्र की प्रति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा एवं केंद्रीय विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धनको भी भेजकर इस मामले में उनके दखल का आग्रह किया है ।
श्री जेटली को भेजे अपने पत्र में कैट ने विभिन्न शोध रिपोर्ट केजिक्र करते हुए ख़ास तौर पर कॉउन्सिल ऑफ़ साइंटिफिक एंडइंडस्ट्रियल रीसर्च के अंतर्गत काम करने वाले संस्थान इंस्टिट्यूटऑफ़ गेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी ने अपने एक शोधमें करेंसी नोटों में ७८ प्रकार के बैक्टीरिया पाए हैं जो बीमारियांफैलाते हैं हालाकिं यह एक नोट में नहीं है ! अधिकांश नोटों मेंपेट खराब होना, टी.बी.और अल्सर जैसी अन्य बीमारियांफैलाने के लक्षण मिले हैं ! शोध में कहा गया है की करेंसी नोटोंके द्वारा बीमारिया फैलने का खतरा सदा बना रहता है।
इसी प्रकार जर्नल ऑफ़ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइडसाइंस ने वर्ष २०१६ में अपने एक शोध जो उन्होंने तिरुनवेलीमेडिकल कॉलेज , तमिलनाडु में किया था में पाया की १२०करेंसी नोट जिन पर शोध किया गया था में से ८६ प्रतिशतनोट अनेक प्रकार की बीमारियां फैलाने से ग्रस्त थे ।यह नोटडॉक्टर, बैंक, स्थानीय बाज़ार, कसाई, विद्यार्थी एंड गृहणियों सेलिए गए थे । डॉक्टर्स से भी लिए गए नोटों में बीमारी फैलाने के लक्षण थे । इन नोटों में मूत्र सम्बन्धी, सॉंस लेने में परेशानी,सेप्टिसीमिया, स्किन इन्फेक्शन मेननजाइटिस आदि बीमारीफैलाने के कीटाणु शामिल थे ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने अफ़सोस व्यक्त करते हुए कहा कीलगतार प्रतिवर्ष इस प्रकार की रिपोर्ट मेडिकल एवं साइंटिफिकजर्नल एवं अन्य स्थानों पर प्रकाशित होती रही हैं किन्तु किसीने भी कभी भी लोगों के स्वास्थ्य से सम्बंधित इस गंभीर विषयपर कोई ध्यान ही नहीं दिया और न ही कोई व्यापक शोध करनेकी कोशिश ही की ।
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की देश में व्यापारी वर्गकरेंसी नोट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करता है क्योंकि अंतिमउपभोक्ता से उसका सीधा संपर्क होता है और यदि यह शोधरिपोर्ट सत्य हैं तो यह व्यापारियों के स्वास्थ्य के लिए सबसेघातक है हालाकिं हर उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभवित करेगा जो करेंसी नोट का लेन-दें करता है ।


