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शून्यकाल में सत्ता पक्ष-विपक्ष में खूब हुई नोकझोंक

लोकसभा में शून्यकाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भारतीय जनता पार्टी की सांसद की टिप्पणी

शून्यकाल में सत्ता पक्ष-विपक्ष में खूब हुई नोकझोंक
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नई दिल्ली। लोकसभा में शून्यकाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भारतीय जनता पार्टी की सांसद की टिप्पणी और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी आर बालू की पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल के आचरण पर सवाल उठाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब हंगामा हुआ।

शून्यकाल शुरू होते ही तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर रिश्वत लेने संबंधी टिप्पणी पर विरोध व्यक्त किया और कहा कि सदन में मुख्यमंत्री पर न तो ऐसी टिप्पणी की जा सकती है और न ही राज्य की कानून-व्यवस्था का सवाल उठाया जा सकता है।

बंद्योपाध्याय के इतना कहते ही बिष्णुपुर से भाजपा के सांसद सौमित्र खान अपने स्थान पर खड़े हो गये और जोर-जोर से बोलने लगे। इस पर तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी भी उठकर तेज आवाज में चोर-चोर बोलने लगे। दो मिनट तक यही नजारा रहा। अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा के पल्लव लाेचन दास का नाम पुकारा लेकिन इस हंगामे में वह काफी देर तक नहीं बोल पाये। इस पर अध्यक्ष को कहना पड़ा कि यह बंगाल की विधानसभा नहीं है। पर हंगामा जारी रहा। बाद में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के सदस्य खड़े हो गये और हंगामा बढ़ गया। अध्यक्ष ने पुन: अपील की कि सदस्य लोकसभा को बंगाल की विधानसभा नहीं समझें।

कुछ देर कार्यवाही चलने के बाद द्रमुक के बालू ने पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी के एक ट्वीट को लेकर आपत्ति उठायी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस ट्वीट के माध्यम से सुश्री बेदी ने अमर्यादित टिप्पणियां की हैं और इस बारे में उन्होंने सरकार से स्पष्टीकरण चाहा। अध्यक्ष ने कहा कि किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के बारे में सदन में शून्यकाल में ऐसे नहीं उठाते हैं। इस पर द्रमुक के सदस्य नाराज हो गये और बालू के नेतृत्व में सदन के बीचोबीच आसन के सम्मुख आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस के सदस्य भी आगे आकर नारेबाजी में शामिल हो गये। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अगर श्री बालू उपयुक्त नोटिस दे दें तो वह उपराज्यपाल के आचरण के बारे में चर्चा कराने का विचार कर सकते हैं लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। श्री बालू ने उनके ट्वीट को पढ़कर भी सुनाया।

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदन के उप नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुछ कहना चाहते हैं लेकिन सदस्य अपनी अपनी सीटों पर चले जायें। इस पर द्रमुक एवं कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर चले गये। सिंह ने नियम पुस्तिका के हवाले से कहा कि उपराज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के बारे में उपयुक्त नोटिस देकर ही चर्चा कराने का प्रावधान है। उनके बारे में शून्यकाल में बिना नोटिस बात नहीं हो सकती है।
संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा कि विपक्षी सदस्य यदि नोटिस देते हैं तो सरकार को उस पर चर्चा से कोई आपत्ति नहीं है। अध्यक्ष ने भी पुन: द्रमुक सदस्यों से नोटिस देने की बात कही। इसके बाद सदन सुचारु रूप से चलने लगा।


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