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केंद्र के साथ शांति वार्ता के अगले दौर के लिए दिल्ली पहुंचे नागा नेता

टी. मुइवा सहित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) के वरिष्ठ नेता दशकों पुराने नागा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र के साथ आगे की बातचीत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे हैं

केंद्र के साथ शांति वार्ता के अगले दौर के लिए दिल्ली पहुंचे नागा नेता
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नई दिल्ली। टी. मुइवा सहित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) के वरिष्ठ नेता दशकों पुराने नागा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र के साथ आगे की बातचीत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे हैं। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक सूत्र ने बताया कि नागा नेताओं के बुधवार को गृह मंत्रालय के सलाहकार और खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक अक्षय कुमार मिश्रा और गृह मंत्रालय में पूर्वोत्तर के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल से मुलाकात करने की संभावना है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि बैठकों के दौरान केंद्र नागा नेताओं को अलग झंडा और संविधान की अपनी मांग छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश करेगा, जिस पर वे अड़े हुए हैं।

केंद्र और नागा नेताओं ने इस साल के अंत तक लंबे समय से लंबित इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने के लिए उत्सुक होने का संकेत दिया है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जो नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के अध्यक्ष भी हैं, और नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो शांति वार्ता को फिर से शुरू करने और उन्हें निष्कर्ष तक ले जाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

उन्होंने मुइवा सहित नागा नेताओं से भी मुलाकात की है और शांति वार्ता के लिए राजी किया है।

नागालैंड के राज्यपाल आर. एन. रवि, जिन्हें 29 अगस्त 2014 को नागा शांति वार्ता के लिए केंद्र के वातार्कार के रूप में नियुक्त किया गया था, तमिलनाडु में तबादले के तुरंत बाद शांति वार्ता 20 सितंबर को कोहिमा में फिर से शुरू हुई, जब केंद्र के प्रतिनिधि मिश्रा ने नागा नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बातचीत के आगे के दौर के लिए दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया।

एनएससीएन-आईएम और अन्य संगठनों ने 1997 में भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया था और अब तक 80 से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है।

एनएससीएन-आईएम और खुफिया सूत्रों ने कहा कि केंद्र के साथ बातचीत के दौरान जहां नगा समूहों की 31 मांगों में से कई का समाधान लगभग हो गया है, वहीं अलग झंडे और संविधान को लेकर मतभेद बना हुआ है।


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