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नदवी अब हमारे सदस्य नहीं : एआईएमपीएलबी

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को ऐलान किया कि मौलाना सलमान हुसैन नदवी अब उसके सदस्य नहीं हैं

नदवी अब हमारे सदस्य नहीं : एआईएमपीएलबी
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हैदराबाद। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को ऐलान किया कि मौलाना सलमान हुसैन नदवी अब उसके सदस्य नहीं हैं। नदवी ने बाबरी मस्जिद मामले में बोर्ड से अलग रुख अपनाया है। बोर्ड ने यहां अपनी तीन दिवसीय बैठक के अंतिम दिन नदवी के बोर्ड से 'अलग होने' पर मुहर लगा दी।

बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य नदवी के खिलाफ कार्रवाई बोर्ड की चार सदस्यीय समिति के प्रस्ताव पर हुई। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने संवाददाताओं को बताया कि समिति के प्रस्ताव को सामान्य सभा की बैठक में सर्वसम्मति से मंजूर किया गया।

इस्लामी धर्मगुरु नदवी ने आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर से मुलाकात के बाद बोर्ड की बैठक की पूर्व संध्या पर कहा था कि अयोध्या में जिस जगह 1992 तक बाबरी मस्जिद थी, उसे राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया जा सकता है।

बोर्ड की बाबरी मस्जिद कमेटी के सदस्य जिलानी ने कहा कि नदवी का प्रस्ताव बोर्ड के इस मामले में लगातार बने इस रुख से अलग है कि मस्जिद की जमीन को न तो बेचा जा सकता है, न उसकी अदला-बदली की जा सकती है और न ही इसे दान में दिया जा सकता है। और, यह कि मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुलझाया जाना चाहिए।

नदवी ने शुक्रवार रात कार्यकारी समिति की बैठक में हिस्सा लिया था, जिसमें कुछ सदस्यों ने बोर्ड के रुख के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने पर नदवी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिलानी ने कहा कि नदवी को सफाई का मौका दिया गया था, लेकिन वह अपनी बात पर कायम रहे।

अगले दिन नदवी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया, एक साक्षात्कार में अपनी बातों को दोहराया और बोर्ड पर आरोप लगाए। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक समानांतर संस्था बनाएंगे।

यह पूछने पर कि बोर्ड उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने भी तो नदवी जैसी ही बातें की हैं, फिर उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? बोर्ड के नेताओं ने कहा कि सादिक ने अपनी बात वापस ले ली है।

जिलानी ने कहा कि बोर्ड ने किसी को भी अयोध्या मुद्दे पर बात के लिए श्री श्री रविशंकर या किसी भी हिंदू नेता से बात करने के लिए अधिकृत नहीं किया है। कुछ सदस्य निजी रूप से उनसे मिले हैं।

उन्होंने कहा, "मैंने भी 2002 में उनसे (रविशंकर से) मुलाकात की थी और मुद्दा सुलझाने के लिए प्रस्ताव बोर्ड को भेजने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने कोई प्रस्ताव नहीं भेजा।"


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