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मेरी माँ

हाल ही में पिता जी की मृत्यु के बाद आलोक अपने पिता की तरह ही माँ की छोटी-छोटी ख़ुशियों, ज़रूरतों का विशेष ख़याल रखने लगा है

मेरी माँ
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- अशोक वाधवाणी

हाल ही में पिता जी की मृत्यु के बाद आलोक अपने पिता की तरह ही माँ की छोटी-छोटी ख़ुशियों, ज़रूरतों का विशेष ख़याल रखने लगा है। पत्नी को भी हिदायत दे रखी थी कि माँ को किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए ।

उन्हें रत्ती भर भी अहसास नहीं होना चाहिए कि पति के जाने के बाद, परिवार वाले मेरी तरफ ध्यान नहीं देते। आलोक सुबह काम पर जाने से पहले माँ के चरण स्पर्श करके ही घर से निकलता।

रात को घर लौटने पर फिर माँ के चरण छूकर, उसका हाल-चाल पूछता। माँ आज्ञाकारी बेटे के व्यवहार से गदगद्? होती। उसके सिर पर मतामयी हाथ फेरकर आशीर्वाद देती। मिलने-जुलने वालों से बहू-बेटे की जी भरकर प्रशंसा करते हुए कहती, क्व मैं सौभाग्यशाली हूँ जो ऐसा बेटा और बहू मिले हैं। भगवान सबको ऐसी बहू और बेटा दे।

आलोक पत्नी खुशबू, बच्चों और माँ को लेकर रात का भोजन करने के लिए एक होटल में पहुंचा। सब के लिए खाने-पीने की चीजों का ओर्डर देने के बाद, वेटर से कुक को बुलाने के लिए कहा। कुक के आने पर आलोक ने उनसे कहा, क्व मेरी माँ तीखा बिलकुल नहीं खा सकती हैं। इसलिए ध्यान रहे कि एक सब्ज़ी में लाल, हरी या काली मिर्च हर्गिज़ नहीं डालनी है।

भोजन की शुरुआत में माँ ने जैसे ही पहला निवाला मुंह में डाला तो वो तड़$फ उठी। सब्ज़ी में अत्यधिक मिर्च डले होने के कारण उनकी आंखों से पानी बहने लगा । आलोक ने तुरंत माँ को पानी पिलाया। इतने में वेटर दौड़ता हुआ सब्ज़ी की दूसरी प्लेट लाया। क्षमा मांगते हुए बताया कि गलती से ऐसा हुआ है। आलोक के गुस्से से परिचीत माँ ने बेटे को समझाते हुए कहा, क्व तुम्हें जो कुछ भी कहना है , भोजन समाप्ती पर ही कहना। ं माँ की बात सुनकर आलोक गुस्सा पी गया। सबके भोजन करने के बाद वेटर जब बिल लेकर आया तो आलोक ने गुस्से में आकर उससे कहा, क्व मैंने तुम्हें और कुक को साफ-साफ कहा था कि बिना मिर्च वाली सब्ज़ी बनाना, जबकि तुम जो सब्ज़ी लाए थे, वो तीखी थी। जाओ मैनेजर को बुलाकर लाओ । वेटर भागा-भागा गया। मैनेजर आने के बाद आलोक ने उनसे कहा, क्व मैं अपनी माँ की आंखों में आंसू की एक बूंद तक नहीं देख सकता। फीकी सब्ज़ी का ओर्डर देने के बाद भी, ऐसी गलती कैसे हुई? मैं बिल नहीं दूंगा। तुम लोगों की गलती का यही उचित दंड है।

मैनेजर ने आलोक से क्षमा मांगी। आलोक को बताया गया कि वेटर की गलती के कारण ही ऐसा हुआ। इसीलिए माँ को दी गई सब्ज़ी का मूल्य छोड़कर, बाकी बिल। माँ ने आलोक की ओर देखा।

कुछ कहना चाहती थी कि आलोक ने बीच में ही माँ से कहा, क्व मैं आपके चेहरे के भाव पढ़ चुका हूँ। आपने मुझे ऐसे संस्कार नहीं दिए कि मैं मुफ़्त का माल खाऊँ। मैं पूरा बिल दूंगा। इन्हें सबक सिखाने के लिए ऐसा नाटक करना पड़ा। वहां पर मौजूद सारे वेटर्स और ग्राहक, जोकि आलोक की शिकायत ध्यानपूर्वक सुन रहे थे, अचंभित हुए। आलोक का माँ के प्रति आदरभाव देख, सभी ख़ुश होकर तालियाँ बजाते हुए दाद देने लगे। मैनेजर पूरे परिवार का आभार मानकर चला गया।


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