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मेरे परिवार को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है : ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि उनके परिवार को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है

मेरे परिवार को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है : ममता
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि उनके परिवार को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने यहां रियल एस्टेट कन्वेंशन 2023 को संबोधित करते हुए सवाल किया, “हमने किसी से एक रुपया भी नहीं लिया है या किसी से एक कप चाय स्वीकार नहीं की है। मुझे एक बात समझ नहीं आ रही है। अगर मैं कुछ खरीदती हूं, जैसे तश्तरी या एक जोड़ी चाय के मग, तो क्या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियां उसकी जांच कर सकती हैं।”

इस मौके पर उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ व्यवसायियों को भी इसी तरह परेशान किया जा रहा है।

बनर्जी ने कहा, “लेकिन डरो मत। कुछ लोग आपको परेशान करने की कोशिश करेंगे। कुछ व्यवसायियों को एजेंसियों के माध्यम से वैसे ही परेशान किया जा रहा है जैसे मेरे परिवार को परेशान किया जा रहा है। आप बस उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाएं।''

मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व जानबूझकर मीडिया का इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने सवाल किया, “राज्य की ऐसी छवि पेश करने की कोशिश की जा रही है जैसे कि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव और झड़पों के अलावा कुछ नहीं होता है। लेकिन हकीकत में पश्चिम बंगाल हर क्षेत्र में बाकी सभी राज्यों से आगे है। क्या सर्वांगीण विकास के बिना यह संभव हो सकता है?''

भाजपा का नाम लिए बिना बनर्जी ने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को राजनीतिक तौर पर उनका मुकाबला करने की चुनौती दी।

उन्‍होंने कहा, “यदि आपमें दम है तो मुझसे राजनीतिक रूप से लड़ो। लेकिन ऐसी लड़ाई शुरू न करें जो पश्चिम बंगाल और उसके लोगों के हित के खिलाफ हो।”

बनर्जी ने रियल एस्टेट क्षेत्र के संचालकों से कुछ करने का भी आह्वान किया ताकि राज्य के प्रवासी श्रमिक पश्चिम बंगाल लौट आएं और यहां अपनी आजीविका कमा सकें।

मुख्‍यमंत्री ने कहा, “पश्चिम बंगाल के रियल एस्टेट कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हैं। इसीलिए इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में नौकरी पर रखा जाता है। लेकिन राज्य के बाहर अक्सर उनके सुरक्षा पहलुओं से समझौता किया जाता है। इसलिए कुछ करें ताकि वे राज्य में अपनी आजीविका कमा सकें।”


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