सबसे अच्छे मेरे 'पापा'
हर साल जून के तीसरे रविवार को पिताओं के सम्मान में पूरी दुनिया में फादर्स डे यानि पितृ दिवस मनाया जाता है

- डॉ. घनश्याम बादल
हर साल जून के तीसरे रविवार को पिताओं के सम्मान में पूरी दुनिया में फादर्स डे यानि पितृ दिवस मनाया जाता है । 19 जून 1910 से इस दिन को मनाने की परंपरा शुरू हुई मदर्स डे से प्रेरणा लेकर पहला फादर्स डे मनाया गया था । 1966 में लिंडन जानसन ने इसे जून के तीरे रविवार को मनाने की परंपरा डाली पर इसे अधिकारिक मान्यता मिली 1972 में । जन्मदाता पिता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने की भावना का प्रतीक है फादर्स डे ।
टूटते - दरकते रिश्तों के बीच भी पिता का रिश्ता आज भी अक्षुण्ण है । इस अनमोल रिश्ते की बात ही ऐसी है कि पिता के नज़दीक आते ही बच्चों को लगने लगता है जैसे वें किसी वटवृक्ष की छांव में आ गए हों , उन्हे एक अभेद्य कवच मिल गया हो जिसे दुनिया की कोई भी ताकत भेद नहीं सकती
आधुनिकता के दौर में जब संबंध टूट, बिखर रहे हैं , तब भी इस रिश्ते ने अपनी महत्ता व गरिमा बनाए रखी है । भले ही समय के साथ इस रिश्ते में भी बदलाव आया है पर आज भी दुनिया के किसी भी कोने में पिता को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
किसी भी बच्चे पर जीवन में जिन सबसे ज्यादा प्रभाव पडता है उनमें पिता का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। पिता का महत्व जितना भारत में तो पिता का स्थान आकाश से भी ऊंचा माना जाता है और पापा आज भी बच्चों के हीरो हैं।
फादर, पिता, अब्बू ,डैडी या पापा वह व्यक्ति हैं जिन पर पूरा परिवार आंख बंद करके विश्वास करता है , वें बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़े से बड़ा खतरा उठाते हैं । बच्चों के कैरियर , तरक्की , आराम व सुख के लिए पापा कुछ भी करने में हिचकते नहीं हैं । इतिहास में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जिनमें पापा अपने सपनों को बच्चों के माध्यम पूरे होते देखना चाहते हैं । धृतराष्ट्र हों या दशरथ वासुदेव हों या मोतीलाल नेहरु या जवाहर लाल, इब्राहिम लिंकन हो या ओबामा हर पिता अपने बच्चों की हर हसरत पूरी करना चाहते है और बदले में सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उनकी संतान उनके सपने पूरे करे।
पर , कई बार अपने सपने बच्चें पर लादने का विपरीत असर भी पडता है जैसे कि महाभारत में धृतराष्ट्र अपनी अतृप्त इच्छाएं व सपने दुर्योधन पर लाद देते हैं तो महत्वाकांक्षी दुर्योधन गलत दर गलत करता चला जाता है परिणाम स्वरूप अपने सौ भाइयों सहित मारा जाता है। 'पापा' होने का मतलब अपने सपने बच्चों पर लादना नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें सही गलत की पहचान कराना , सही रास्ता दिखाना , उनका मार्ग दर्शन करते हुए मंजिल तक पंहुचाना है । यदि पिता अपने सारे विचार बच्चों पर लादने की गलती करते हैं तो उनका व्यक्तित्व कुंठित होता चला जाता है और कोई भी समझदार पिता ऐसा नहीं चाहेगा । पर, बच्चों का भी फर्ज बनता है कि जन्म देने व पालने पोषने वाले पिता को हर खुशी दें ।
प्राय: देखने में आता है कि बड़े होते बच्चों की पापा से दूरी बढ़ती चली जाती है कारण है पापा का मां की अपेक्षा कठोर होना। पिता अक्सर अपने बच्चों की हर बात ज्यों की त्यों नहीं मानते उनसे हर बात पर एक स्पष्टीकरण चाहते हैं , पापा तार्किक होते हैं पर याद रखिए पापा किसी नारियल या क्रीमरोल से होते हैं जो बाहर से भले ही कठोर हो पर अंदर से कोमल व और हितैषी होते हैं।
संतान के रूप में हमें यह समझना होगा कि पापा का मतलब बैंक का एटीएम नहीं है जैसे वें हमारी भावनाओं को समझते हैं वैसे ही हमें भी उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिये । जैसे जवानी में उन्होनें हमें वह सब दिया जिसकी हमें जरुरत थी उसी तरह बुढ़ापे में हमें उनका ध्यान रखना है, उनकी जरुरतें पूरी करनी हैं । आज के दिन कितना अच्छा हो कि हम अपने पापा को ऐसा बेहतरीन तोहफा दें कि वें कह उठें 'आय एम प्राऊड़ ऑफ यू माई सन' यह उनके किसी अधूरे सपने को पूरा करके दिया जा सकता है भूलिएगा नहीं कि जैसे पापा आपका हैप्पी बर्थ डे सेलिबेट करते है वैसे ही आप भी आज उन्हे 'फादर्स' डे सेलिब्रेट' करके खुश करना आपका दायित्व हैं।
वैसे भी पापा को खुश करना कोई मुश्किल काम नहीं है उन्हे खुश करने के लिए उनकी पसंद का काम करें, तोहफे के रूप में उनके लिये एक अच्छी सी टाई या फिर रुमाल मात्र भी उन्हे खुश करने को पर्याप्त है , सुबह - सुबह उनके कमरे में एक बुके रख दें या आफिस से आने पर उनकी पसंद का गरमा-गरम नाश्ता अपने हाथों से परोस दें इतने में ही पापा खुश हो जाते हैं । लाईफलोंग हैप्पीनेस देनी है तो उनके सपने पूरे कर दें, कैरियर में प्रोमोशन को उनके नाम कर दें , उन्हे खुशी व गर्व के मौको पर अपने साथ ले जाएं , सुबह उठकर उनके पैर छू कर आशीर्वाद लें लें अपनी सफलता पापा के नाम कर दें , आपके करियर के प्रति उनकी चिन्ताओं को दूर कर दें तो पापा वाह - वाह कर उठेंगें । अपनी पहली तनख्वाह लाकर पापा के हाथों में रखेंगें तो पापा तो प्रसन्न हो उठेंगे । उनकी दवाएं अपने हाथों से समय पर उन्हे दे दें , या ऑफिस में हैं तो उन्हे फोन करके याद दिला दें, लगातार संपर्क में रहने के लिए उन्हे एक अच्छा सा फोन गिफ्ट कर दें । अच्छा रहे कि पापा के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने के लिए उनकी अच्छी सी बीमा पॉलिसी करवा दें।


