Top
Begin typing your search above and press return to search.

हिंदू जाति व्यवस्था के कारण मुस्लिमों ने गलत वंशावली अपनाई

कोलकाता ! विख्यात शायर एवं फिल्म गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि हिंदू जाति व्यवस्था ने देश के मुसलमानों को एक भ्रामक वंशावली को अपनाने पर मजबूर किया।

हिंदू जाति व्यवस्था के कारण मुस्लिमों ने गलत वंशावली अपनाई
X

कोलकाता ! विख्यात शायर एवं फिल्म गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि हिंदू जाति व्यवस्था ने देश के मुसलमानों को एक भ्रामक वंशावली को अपनाने पर मजबूर किया। टाटा स्टील कोलकाता साहित्य महोत्सव में जावेद अख्तर ने इस्लाम और मुसलमानों के बारे में पूर्वाग्रहों से संबंधित एक सत्र में यह बात कही।

जावेद ने कहा, "किसी आम मुसलमान से पूछिए कि आपकी वंशावली क्या है। वह कहेगा कि उसके पुरखे इराक के बसरा में फल बेचते थे। या यह कि वे अफगानिस्तान से आना (भारत) चाहते थे लेकिन खैबर दर्रे पर रुक गए। फिर उनसे पूछिए कि आखिर क्यों रुक गए।"

जावेद अख्तर ने कहा, "ऐसा हिंदू जाति व्यवस्था के कारण हुआ। अगर वह स्वीकार कर ले कि उसके दादा ने पंजाब में धर्म परिवर्तन किया था जोकि उन्होंने किया था (हिंदू से मुसलमान बने थे) तो फिर वे (हिंदू) पूछेंगे कि तुम्हारे दादा धर्म परिवर्तन से पहले क्या थे। यह हिंदू जाति व्यवस्था है जिसने उसे (भारतीय मुसलमान) को झूठी वंशावली अपनाने पर बाध्य किया है।"

खुद को नास्तिक बताने वाले जावेद अख्तर ने कहा कि भारत में 90 फीसदी मुसलमान यहीं के हैं और धर्म बदलकर मुसलमान बने हैं।

उन्होंने कहा, "वे कहते हैं कि तुम हमलावर हो। तुम बाहर से आए हो। वे कहते हैं कि तुम गजनी से आए हो। जबकि सच यह है कि वे नहीं आए हैं (बाहर से)। सच यह है कि 90 फीसदी मुसलमान धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बने हैं। लेकिन, उन्हें बाहरी करार दे दिया जाता है। और फिर वे भी कहते हैं कि हां, हम बाहरी हैं।"

पहले से बनी धारणा (स्टीरियोटाइप) के अर्थ पर सवाल उठाते हुए जावेद ने कहा कि हम हर क्षेत्र में लोगों को स्टीरियोटाइप करते हैं। जब तक यह सौम्य है, ठीक है। समस्या तब आती है जब यह घातक रूप ले लेता है।

जावेद अख्तर ने उम्मा शब्द के बारे में भी बात की। इसका अर्थ हर देश में मौजूद मुसलमानों के एकजुट सामूहिक समुदाय से लिया जाता है।

उन्होंने कहा, "यह शब्द दोनों तरफ से घातक हो गया है। लोग किसी एक समुदाय को देखते हैं तो उसके बारे में राय बनाने लगते हैं। समुदाय के लोग भी अपने अंदर से ही अपने बारे में एक राय कायम कर लेते हैं। यह स्टीरियोटाइप होने की प्रक्रिया दोतरफा है।"

जावेद (72) ने पूछा कि क्या सच में मुसलमान एक उम्मा हैं। उन्होंने कहा, "चलिए, सऊदी और कुवैती से पूछते हैं कि क्या वे एक ही राष्ट्र है? कुवैत में या किसी मध्य पूर्व के देश में, तथाकथित इस्लामी देश में, कोई भी, चाहे वह मुसलमान ही हो, किसी अरब लड़की से शादी नहीं कर सकता या बिना किसी अरब सहयोगी के व्यापार नहीं कर सकता।"

जावेद अख्तर ने कहा कि ऐसी किसी 'पहचान' का अस्तित्व नहीं है। यह एक मिथक है।

उन्होंने कहा, "सच तो यह है कि ऐसी कोई पहचान (एक उम्मा) नहीं है। यह उन लोगों द्वारा गढ़ी गई है जो इस समुदाय के विरोधी हैं और उनके द्वारा भी गढ़ी गई है जो खुद को इस समुदाय का हितैषी बताते हैं।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it