सिब्बल की उच्चतम न्यायालय में दी गई दलील पर मुस्लिम समाज बंटा
अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में प्रमुख पक्षकार सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में 2019 जुलाई के बाद सुनवाई करने संबंधी दलील पर मुस्लिम पक्ष मेें मतभेद पैदा हो गया

लखनऊ। अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में प्रमुख पक्षकार सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में 2019 जुलाई के बाद सुनवाई करने संबंधी दलील पर मुस्लिम पक्ष मेें मतभेद पैदा हो गया है।
बोर्ड से जुड़े और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी तथा उच्चतम न्यायालय में बोर्ड की ओर से वकील मुश्ताक अहमद सिद्दीकी ने श्री सिब्बल के रुख का समर्थन किया जबकि मामले से जुड़े और अयोध्या में विवादित धर्मस्थल और उसके आसपास अधिग्रहीत परिसर के निकट रहने वाले हाजी महबूब ने श्री सिब्बल की दलील को नकार दिया।
श्री जिलानी और श्री अहमद का कहना था कि यह सही है कि इस विवाद की सुनवाई शुरु होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके समर्थक संगठन साम्प्रदायिकता फैलाना शुरु कर देंगे। समाज में तनाव का माहौल बन सकता है, लेकिन इसके उलट श्री महबूब ने कहा कि विवाद जल्द समाप्त होना चाहिये। इसके लिये न्यायालय में प्रतिदिन सुनवाई जरुरी है।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि श्री सिब्बल का बयान उचित नहीं हैं। उनका कहना था कि श्री सिब्बल रिपीट सिब्बल बोर्ड के वकील हैं, लेकिन वह एक राजनीतिक दल से भी जुड़े हुए हैं। न्यायालय में दिये गये उनके बयान से वह सहमत नहीं हैं। इस मसले का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिये। यद्यपि श्री सिब्बल ने स्पष्ट किया है कि वह बोर्ड के नहीं बल्कि दिवंगत मो़ हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी की ओर से वकील हैं।


