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मस्जिदों और ईदगाहों में महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दिलाने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच चलाएगा मुहिम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज पढ़ने की अनुमति दिलाने के लिए मुहिम चलाने जा रहा है

मस्जिदों और ईदगाहों में महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दिलाने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच चलाएगा मुहिम
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज पढ़ने की अनुमति दिलाने के लिए मुहिम चलाने जा रहा है। इसके साथ ही मंच ने शादी की न्यूनतम उम्र तय करवाने के लिए भी राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का फैसला किया है।

दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता , मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक एवं मुख्य सरंक्षक इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में मंच के कार्यकतार्ओं ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं को भाजपा के साथ जोड़ने के लिए अभियान चलाया हुआ था। इस दौरान इंद्रेश कुमार के अलावा मंच से जुड़े नेताओं ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लगभग 40 जिलों का दौरा कर मुस्लिम वर्ग के लोगों से मुलाकात की और उनकी आकांक्षाओं को समझने की कोशिश भी की।

गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, रामपुर, सहारनपुर, बरेली, बिजनौर, शाहजहांपुर, संभल, बहराइच, कैराना, अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ, फैजाबाद, सहारनपुर, गोरखपुर, आजमगढ़, गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर, वाराणसी, मऊ, देवरिया, देहरादून, हरिद्वार सहित विभिन्न जिलों के दौरे , मुस्लिम समाज के लोगों से मुलाकात खासकर मुस्लिम महिलाओं से मुलाकात के आधार पर मंच को यह अहसास हुआ कि भारत का मुस्लिम समाज जबरदस्ती थोपी गई कुरीतियों से छुटकारा पाना चाहता है और तीन तलाक से मुक्ति के कानून ने उन्हें एक रास्ता दिखा दिया है। इसलिए मंच ने मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने के लिए समान अधिकार दिलवाने और शादी की न्यूनतम उम्र तय करवाने के लिए मुहिम चलाने का फैसला किया है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच यह दावा कर रहा है कि वो मुस्लिम समाज के उत्थान और बदलाव को लेकर देश भर में जागरूकता अभियान और जन आंदोलन के जरिए मुहिम चलाएगा। इसके अंतर्गत मंच के विभिन्न प्रकोष्ठ समाज के विभिन्न तबकों को साथ लेकर सुधार की योजना तैयार करेंगे और इन योजनाओं को क्रमबद्ध रूप से पूरे देश में अभियान के तौर पर चलाया जाएगा। इस मुहिम के दौरान मुफ्तियों, मौलानाओं, इमामों और छात्र-छात्राओं के साथ-साथ समाज के अन्य प्रभावशाली लोगों के साथ विचार मंथन भी किया जाएगा।


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