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रेलवे गेट बंद, आधे घंटे तड़पती रही आदिवासी गर्भवती महिला

मुलताई । खेड़ली बाजार मार्ग पर मंगलवार लगातार आधे घंटे गेट बंद होने से एक आदिवासी गर्भवती महिला को आधे घंटे प्रसव पीड़ा से जिन्दगी और मौत से जूझना पड़ा।

रेलवे गेट बंद, आधे घंटे तड़पती रही आदिवासी गर्भवती महिला
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खेड़ली मार्ग पर आगजनी होने पर भी नहीं पहुंच पाती फायर ब्रिगेड
मुलताई । खेड़ली बाजार मार्ग पर मंगलवार लगातार आधे घंटे गेट बंद होने से एक आदिवासी गर्भवती महिला को आधे घंटे प्रसव पीड़ा से जिन्दगी और मौत से जूझना पड़ा। रेलवे गेट खुलने के बाद उसकी हालत गंभीर होने से सरकारी अस्पताल से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया।
पूरे मामले में रेलवे गेट में ओवर ब्रिज अथवा अंडर ब्रिज नहीं बनने से लगातार परेशानी बढ़ती जा रही है साथ ही खेड़ली मार्ग पर आगजनी होने पर भी रेलवे गेट बाधक बनता है जिससे आगजनी होने पर रेल्वे गेट बंद होने से फायर ब्रिगेड भी समय पर आगजनी स्थल पर नही पहुंच पाती है। दोपहर लगातार तीन गाडिय़ां गुजरने के कारण रेलवे गेट आधा घंटा से अधिक बंद होने से टेमझीरा निवासी गर्भवती आदिवासी महिला लक्ष्मी सिरसाम प्रसव पीड़ा से एंबूलेंस में तड़पती रही। इसके पूर्व भी रेल्वे गेट बंद होने के कारण एंबुलेंस टेमझीरा पहुंचने में लेट हुई तथा बाद में भी रेल्वे गेट बंद होने से एंबूलेंस को खड़े रहना पड़ा। आशा कार्यकर्ता रामदुलारी नरवरे ने बताया कि उन्होंने लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा होने की सूचना अस्पताल को 1.30 बजे दे दी गई थी लेकिन एंबुलेंस विलंब से पहुंची जिसका कारण रेल्वे गेट का बंद होना बताया गया। रेल्वे गेट बंद होने के कारण मात्र 10 किलोमीटर दूर से गर्भवती महिला को लाने के लिए लगभग दो घंटे लग गए जिससे महिला की हालत नाजुक हो गई तथा अस्पताल से उसे जिला अस्पताल रेफर करने की नौबत आ गई।
रेलवे गेट अक्सर रहता बंद
मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं के साथ ही यदि खेड़ली रोड पर आगजनी की घटना होती है तो समझो की फायर ब्रिगेड पहुंचना मुश्किल है। आगजनी की सूचना मिलने पर तत्काल आगजनी स्थल के लिए रवाना हुई फायर ब्रिगेड को रेलवे गेट के कारण इंतजार करना पड़ता है जब तक किसान की फसल स्वाहा हो जाती है। मंगलवार शाम छिन्दी में हुई आगजनी की घटना में भी फायर ब्रिगेड रेल्वे गेट बंद होने के कारण विलंब से पहुंची।
अंडर ब्रिज नहीं होने से होती है हमेशा परेशानी
नगर और चंदोरा के बीच स्थित रेल्वे गेट पर ओव्हर या अंडर ब्रिज बनाने की मांग पिछले दस सालों से नगरवासियों द्वारा की जा रही है, लेकिन इस ओर जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा दस साल से केवल आश्वासन दिए जा रहे है। रेल्वे गेट बंद होने से अक्सर ऐसी ही स्थिति बनती है। कभी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तो कभी आगजनी के मामले में गेट खुलने के इंतजार में सबकुछ जलकर खाक हो जाता हैै, लेकिन अंडर या ओव्हर ब्रिज बनने का नाम नहीं ले रहा है। इधर बैतूल में अंडर ब्रिज का निर्माण करवा दिया गया है, लेकिन मुलताई की ओर कोई ध्यान नहीं है।


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