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मोदी सरकार का छलावा है एमएसपी:  संपत सिंह

हरियाणा के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह ने आज आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का घोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक छलावा है

मोदी सरकार का छलावा है एमएसपी:  संपत सिंह
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हिसार। हरियाणा के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह ने आज आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का घोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक छलावा है।

उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि किसानों को उनकी फसलों के लागत खर्च पर 50 प्रतिशत अधिक मूल्य दिया जाएगा, परंतु अब लागत खर्च को अपने तरीके से तोड़मरोड़ कर पेश करने का विफल प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 50 प्रतिशत लाभ देने की बात जो स्वामीनाथन आयोग ने कही थी उसकी तो इस सरकार ने परिभाषा ही बदल दी। श्री सिंह के अनुसार डॉ़ स्वामीनाथन ने एक अखबार को बताया था कि सरकार ने ए2़ एफएल फार्मूले को ध्यान में रखकर इन समर्थन मूल्यों की घोषणा की है जिसके तहत सारे खर्चे शामिल नहीं हैं।

कांग्रेसी नेता ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार किसान की भूमि की कीमत का किराया खर्च और, किसानों द्वारा फसल तैयार करने पर किए गए खर्च तथा पारिवार के सदस्यों की मजदूरी के खर्च को मिलाकर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य निकालना चाहिए, जिसको सी 2 फार्मूला कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि सी 2 फार्मूले के अनुसार कीमत पर 50 प्रतिशत अधिक मूल्य दिया जाता तो धान का समर्थन मूल्य 1750 रूपए की बजाए 2340 रूपए, ज्वार का 2430 रूपए की जगह 3275 रूपए, मक्का का 1700 रूपए की जगह 2220 रूपए, मूंग का 6975 रूपए की जगह 9242 रूपए, मूंगफली का 4890 रूपए की जगह 6279 रूपए, सोयाबीन का 3399 रूपए की जगह 4458 रूपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य होना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि इस घोषणा से किसान को विभिन्न फसलों में 520 रूपए से लेकर 2267 रूपये प्रति क्विंटल का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि दूसरी बात पिछले चार साल के सरकार के फसलों की खरीद के अनुभव से प्रमाणित हो चुका है कि सरसों, मूंग और जीरी के न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद भी सफलता नहीं मिली। सरकार के दलाल और बिचौलिए सरसों की खरीद में करोड़ों रूपए कमा गए।

उन्होंने कहा कि केंद्र की पिछली मनमोहन सिंह सरकार के दो कार्यकाल में धान का मूल्य 61 प्रतिशत व 38 प्रतिशत बढा था। भाजपा के कार्यकाल में सिर्फ 29 प्रतिशत बढ़ा है, दालें, सरसों, मूंगफली, तिल, सूरजमुखी, सोयाबीन आदि में भी बढ़ोतरी काफी कम हैं। उन्होंने कहा कि प्रचार पर करोड़ों रूपए खर्च करने की बजाय फसलों की खरीद भंड़ारण और वितरण पर खर्च करने की आवश्यकता है।
इस बीच इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के वरिष्ठ नेता एवं नलवा से विधायक रणबीर सिंह गंगवा ने भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों को बहकाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से धान का जो समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, वह नाकाफी है और इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिलेगी।

गंगवान ने कहा कि इसके अलावा जिन फसलों की कीमतें बढ़ाई गई हैं, उनकी भी जब तक उनकी खरीद सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। विधायक गंगवा ने कहा कि हाल ही में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4000 रुपये सुनिश्चित किया गया था। लेकिन सरकार की तरफ से मुश्किल से पांच फीसदी सरसों खरीदी गई और शेष किसानों को मजबूरन 3300-3400 के दाम पर खुले बाजार में बेचनी पड़ी। उन्होंने कहा कि इसी तरह बाजरे की फसल पिछले साल प्रति किसान चार क्विंटल से ज्यादा नहीं खरीदी गई।


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