तीन तलाक पर रोक के प्रयास में सहयोग करें सांसद : राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तीकरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तीकरण को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक करार देते हुए सांसदों से तलाक-ए-बिदअत (तीन तलाक) और निकाह हलाला जैसी कुप्रथाओं के उन्मूलन में सहयोग की आज अपील की।
कोविंद ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तीकरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। नारी का सबल होना तथा समाज और अर्थव्यवस्था में उनकी प्रभावी भागीदारी, एक विकसित समाज की कसौटी होती है। उन्होंने कहा, “सरकार की यह सोच है कि न केवल महिलाओं का विकास हो, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास हो। महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्यों के सहयोग से अनेक प्रभावी कदम उठाये गये हैं।”
राष्ट्रपति ने देश में हर बहन-बेटी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के वास्ते ‘तीन तलाक’ और ‘निकाह-हलाला’ जैसी कुप्रथाओं के उन्मूलन की आवश्यकता जताते हुए कहा, “मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि हमारी बहनों और बेटियों के जीवन को और सम्मानजनक एवं बेहतर बनाने वाले इन प्रयासों में अपना सहयोग दें।”
उन्होंने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के दंड अधिक सख्त बनाये जाने और नये दंड प्रावधानों को सख्ती से लागू किये जाने जैसे उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ’ अभियान से भ्रूण हत्या में कमी आई है और देश के अनेक जिलों में लैंगिक अनुपात में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि ‘उज्ज्वला योजना’ से धुएं से मुक्ति, ‘मिशन इंद्रधनुष’ के माध्यम से टीकाकरण, ‘सौभाग्य’ योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन का सर्वाधिक लाभ ग्रामीण महिलाओं को मिला है। ग्रामीण क्षेत्र में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के अंतर्गत बने घरों की रजिस्ट्री में भी महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इस योजना में अगले तीन वर्षों के दौरान गांवों में लगभग दो करोड़ नये घर बनाये जायेंगे।
राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि में महिलाओं को समान रूप से भागीदार बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि उद्योग और कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के प्रयास किये जायेंगे, साथ ही, सरकारी खरीद में ऐसे उद्यमों को वरीयता दी जायेगी, जहां कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी निर्धारित स्तर से अधिक हो।
उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों के लिए भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। ‘दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय आजीविका मिशन’ के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।


