Top
Begin typing your search above and press return to search.

मप्र: विधानसभा अध्यक्ष चुने गए एन. पी. प्रजापति

एन. पी. प्रजापति को आज मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया। उनका चयन विपक्षी भाजपा सदस्यों के सदन से बहिर्गमन के बीच हुआ

मप्र: विधानसभा अध्यक्ष चुने गए एन. पी. प्रजापति
X

भोपाल। एन. पी. प्रजापति को आज मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया। उनका चयन विपक्षी भाजपा सदस्यों के सदन से बहिर्गमन के बीच हुआ। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित किया गया।

इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने ध्वनिमत से सदस्यों की राय ली। सदन में मौजूद सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रजापति का समर्थन किया। इस बीच, बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने मत विभाजन की मांग की, जिस पर मतदान हुआ।

सूत्रों का कहना है कि प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना के अतिरिक्त सदन में मौजूद 120 सदस्यों ने प्रजापित के समर्थन में मतदान किया। मतदान के बाद प्रजापति को अध्यक्ष चुना गया।

विधानसभा में विपक्ष की गैरहाजिरी के बीच प्रजापति को अध्यक्ष चुना गया।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रजापति के निर्वाचन के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश के हर वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकेगा।

इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही दो भाजपा विधायक यशोधरा राजे सिंधिया और मालिनी गौड़ ने शपथ ली।

इसके बाद कांग्रेस की ओर से विधायक व मंत्री डा. गोविंद सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए एन. पी. प्रजापति के नाम का प्रस्ताव किया, जिसका आरिफ अकील, विक्रम िंसंह 'नाती राजा' सहित अन्य विधायकों ने समर्थन किया।

भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भाजपा के उम्मीदवार विजय शाह के नाम का प्रस्ताव ही नहीं लिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई। भाजपा की मांग थी कि प्रजापति के प्रस्ताव के साथ शाह के प्रस्ताव को भी शामिल किया जाए।

भार्गव का दावा था कि कार्यसूची में शाह का प्रस्ताव रखने का जिक्र था मगर उस पर अमल नहीं हुआ। प्रोटेम स्पीकर ने पहले आए प्रस्ताव (प्रजापित के प्रस्ताव) पर चर्चा कर आगे बढ़ने की बात कही, इस पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया। सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरूहोते ही फिर हंगामा हो गया और कार्यवाही को फिर 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में अपनाई गई प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या करार दिया और भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।

राज्य विधानसभा के 230 सदस्यों में 114 कांग्रेस और 109 भाजपा के हैं। कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।

भाजपा के कई विधायकों ने गुप्त मतदान की मांग की, लेकिन ससंदीय कार्यमंत्री डा. गोविंद सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने खुले मतदान का फैसला सुनाया है ताकि खरीद फरोख्त को रोका जा सके और उसी आधार पर खुला मतदान होगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it