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एमफिल और पीएचडी : 30 जून 2022 तक जमा करवाई जा सकेगी थीसिस

यूजीसी ने एमफिल और पीएचडी छात्रों को बड़ी राहत प्रदान की है। यूजीसी ने राहत देते हुए एमफिल और पीएचडी छात्रों द्वारा थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि में छह महीने का एक्सटेंशन दिया है

एमफिल और पीएचडी : 30 जून 2022 तक जमा करवाई जा सकेगी थीसिस
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नई दिल्ली। यूजीसी ने एमफिल और पीएचडी छात्रों को बड़ी राहत प्रदान की है। यूजीसी ने राहत देते हुए एमफिल और पीएचडी छात्रों द्वारा थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि में छह महीने का एक्सटेंशन दिया है। यूजीसी द्वारा जारी किए गए इस निर्देश के मुताबिक अब एमफिल और पीएचडी कर रहे छात्र अगले वर्ष 30 जून तक अपनी थीसिस जमा करवा सकते हैं। इससे पहले यह थीसिस इसी वर्ष 31 दिसंबर तक जमा करवाई जानी थी।

यह दूसरा अवसर है जब यूजीसी ने थीसिस जमा करने के लिए 6 महीने का एक्स्टेंशन दिया है। इससे पहले मार्च महीने में 6 महीने का समय बढ़ाया गया था। दरअसल कोरोना संकट के चलते कई छात्र समय पर अपनी पीएचडी थीसिस समय पर जमा नहीं करा सके हैं। इसी के चलते यूजीसी ने थीसिस जमा कराने की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है।

वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, संस्थानों और कॉलेजों के प्रिंसिपलों को सकरुलर जारी करते हुए फैकल्टी ( संकायों ) में स्थायी नियुक्तियों के संदर्भ में निर्देश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि अकेले दिल्ली विश्वविद्यालय में ही विभिन्न विभागों में 1अप्रैल 2021 के अनुसार सहायक प्रोफेसर ,एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के करीब 846 पद खाली हैं। इन विभागों में 1706 पदों में से 860 पदों पर नियुक्ति की गई है ,बाकी पद रिक्त पड़े हैं।

यूजीसी ने यह निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की गतिविधियों के मॉनीटरिंग पोर्टल पर 31 दिसंबर 2021 से पहले यह पॉर्टल अपलोड करें। साथ ही उसे यूजीसी की मॉनीटरिंग पोर्टल पर भी अपलोड करना होगा।

विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की फैकल्टी में शिक्षकों की नियुक्तियों के संदर्भ में यूजीसी के सचिव ने 4 जून 2019 को संकाय शिक्षकों की नियुक्ति हेतु भेजे गए पत्रों के संदर्भ में फिर से सभी विश्वविद्यालयों, मानद विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में नियुक्तियों के लिए यूजीसी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को अपनाते हुए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि शिक्षक सदस्य अकादमिक प्रक्रिया के स्तम्भ की तरह होते हैं और विकास कार्यक्रमों केंद्रित कॅरिकुलम बनाने ,शिक्षण तथा सीखने को प्रभावशाली तरीके से अकादमिक संस्थानों में लागू करवाने एवं मूल्यांकन प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने में महžवपूर्ण जिम्मेदारी की भूमिका में होते हैं।

यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों को भेजे गए सकरुलर में कहा गया है कि शिक्षक ही है जो संस्थानों में सीखने का उचित वातावरण निर्मित करते हैं तथा विद्यार्थियों को समाज में एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में विकसित करते हैं।


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