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MP News: निजीकरण का खामियाजा, वाटर सप्लाई ठप्प, अब नगर निगम का यह है प्लान

निजीकरण का खामियाजा जनता भुगत रही है। कई क्षेत्रों में जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है। अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता ने भी अपना स्टाफ वापस मांगने के लिये निगमायुक्त को पत्र लिखा है

MP News: निजीकरण का खामियाजा, वाटर सप्लाई ठप्प, अब नगर निगम का यह है प्लान
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गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: आजकल हर क्षेत्र निजीकरण का दौर है। जन सेवाओं सम्बंधित कई का भी कई विभागों में निजी कम्पनी को दिए गए हैं। ग्वालियर में 1अगस्त 2022 से शहरी वाटर सप्लाई नगर निगम ने निजी कम्पनी विष्णु प्रकाश पुंगलिया को सौंप दी थी। अब 120 दिन हो चुके हैं और शहर में वाटर सप्लाई कई जगह ठप्प है। लगभग 100 टँकी भर ही नहीं पा रहीं। कई जगह गन्दा मटमैला पीला पानी आ रहा है तो कई क्षेत्रों में पानी आ ही नहीं रहा है। रोज कहीं न कहीं पानी की लाइन फूट रही है। जिसको दुरुस्त करने में काफी समय लग रहा है। इस निजीकरण का खामियाजा जनता भुगत रही है। कई क्षेत्रों में जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है। अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता ने भी अपना स्टाफ वापस मांगने के लिये निगमायुक्त को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए स्टाफ की कमी है।
अमृत प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों में रहा है, अमृत प्रोजेक्ट के कांट्रेक्ट अनुसार ही 1 अगस्त 2022 से वाटर सप्लाई पीएचई से लेकर निजी कम्पनी विष्णु प्रकाश पुंगलिया को सौपीं गई थी। इस काम के लिए निगम द्वारा कम्पनी को हर साल 9 करोड़ 45 लाख रुपए देना है। इस कांट्रेक्ट के अनुसार कम्पनी पानी की टँकी व 2 हजार किलोमीटर लाइन का संचालन व संधारण का काम देखेगी साथ ही 4 ट्रीटमेंट प्लांट का भी संचालन व संधारण करेगी। इन सभी कामों में कम्पनी पूरी तरह फैल रही यही कारण रहा कि कई क्षेत्रों में पानी पहुंचा ही नहीं तो कई क्षेत्रों को पीला मटमैला पानी मिला। नगर निगम का यह निजीकरण का प्लान पूरी तरह ठप्प हो गया है। पीएचई के दो डिवीजन व 7 सब डिवीजन ऑफिस हैं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स पर 235 , बोरिंग संचालन पर लगभग 300 व टँकीयों पर लगभग 400 कर्मचारी तैनात हैं। अब यह सभी स्टाफ पीएचई में वापस जाएगा।
वर्तमान समय में कई क्षेत्र में जनता गंदे पानी व पानी न मिलने की समस्या से झूझ रही है। पार्षद भी अमृत योजना पर सवाल खड़े कर चुके हैं। अमृत योजना का कार्य निजी कम्पनी द्वारा किया गया अब वाटर सप्लाई जब से निजी हाथों में है कई वार्ड में जनता पानी के लिए परेशान है। मुख्यमंत्री जलजीवन मिशन को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं शायद यही कारण है कि पीएचई मुख्य अभियंता ने स्टाफ वापस मांगा है।

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