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मप्र : उपचुनाव के नतीजे बताएंगे जनता का मूड

मध्यप्रदेश पर पिछले 15 साल से राज कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बुधवार को आने वाले उपचुनाव के नतीजे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे

मप्र : उपचुनाव के नतीजे बताएंगे जनता का मूड
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- संदीप पौराणिक

भोपाल। मध्यप्रदेश पर पिछले 15 साल से राज कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बुधवार को आने वाले उपचुनाव के नतीजे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। दो सीटों के नतीजों से पता चल जाएगा कि राज्य की जनता भाजपा राज से खुश है या नहीं। ये नतीजे यह भी बता देंगे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 'लोकप्रियता' कायम है या कांग्रेस के युवा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर 'शिफ्ट' होने लगी है।

शिवपुरी जिले के कोलारस और अशोकनगर के मुंगावली में उपचुनाव के तहत मतदान 24 फरवरी को हो चुका है, मतगणना बुधवार (28 फरवरी) की सुबह शुरू होने वाली है। पांच महीने के लिए दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में जीत के लिए भाजपा और कांग्रेस ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

आलम यह रहा कि मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा के कई बड़े नेता कई दिनों तक इन दो इलाकों में डेरा डाले रहे, तो क्षेत्रीय सांसद व कांग्रेस नेता सिंधिया ने यहां तूफानी दौरे किए। कांग्रेस के कई अन्य बड़े नेताओं के आलावा गुजरात से हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी व अल्पेश ठाकुर के यहां आने का दौर चलता रहा।

राजनीति के जानकार गिरिजा शंकर का कहना है, "यह चुनाव सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है, क्योंकि जिन दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए हैं, वे सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आते हैं। अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में जाते हैं तो प्रदेश की राजनीतिक सेहत पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये उपचुनाव कांग्रेस विधायकों के निधन के चलते हुए हैं। वहीं, भाजपा की जीत होगी तो उसका श्रेय शिवराज के खाते में जाएगा और सत्ताधारियों को सिंधिया व कांग्रेस को चुप कराने के लिए एक बड़ा उदाहरण मिल जाएगा।"

उपचुनावों के प्रचार के दौरान तरह-तरह के रंग देखने को मिले। मुख्यमंत्री शिवराज ने मतदाताओं से लगभग हर सभा में कहा कि उनके उम्मीदवार को पांच माह सेवा का मौका दिया जाए। वे इन पांच माह में पांच साल के विकास का हिसाब बराबर कर देंगे। साथ ही उन्होंने एक बड़ी बात कह दी कि 'अगर पांच माह में वादा पूरा न हो तो आगामी चुनाव में भाजपा का साथ न दें।'

वहीं सिंधिया ने हर सभा में अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यो का हिसाब दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान पर कई जगह चुटकी भी ली और कहा कि यहां से भाजपा का विधायक न होने के कारण शिवराज ने क्षेत्र के साथ पक्षपात किया है। अब पांच माह में पांच साल के बराबर विकास का वादा कर खुद लोगों को मजाक उड़ाने का मौका दे दिया है।

राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का मानना है कि राज्य के उपचुनाव आगामी आम चुनाव के लिए बड़ा संदेश देने वाले होंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उपचुनाव से पहले जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर तीन मंत्री बनाए और उन्हें इस इलाके में जाति विशेष को लुभाने भेजा। इसके बावजूद कांग्रेस जीतती है तो सिंधिया का ग्राफ बढ़ेगा, कांग्रेस में जोश आएगा और भाजपा हारती है तो शिवराज सरकार व भाजपा के खिलाफ पनप रहा असंतोष और बढ़ेगा। इसके अलावा ये नतीजे आगामी आम विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश के मतदाताओं के 'मूड' को जाहिर करने वाले होंगे।

राज्य में वर्ष 2013 की विधानसभा और 2014 के आम चुनाव के बाद हुए उपचुनावों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि इस अवधि में 12 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए। इनमें से नौ भाजपा और तीन स्थानों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। वहीं वर्ष 2017 में तीन उपचुनाव हुए, जिनमें से दो कांग्रेस और एक भाजपा ने जीती थी।

देश में नोटबंदी, जीएसटी लागू होने और प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर पुलिस की गोलीबारी व लाठीचार्ज में छह किसानों की मौत, किसान आत्महत्याएं और किसान सहित विभिन्न वर्गो के आंदोलनों के बीच हो रहे इन दो उपचुनावों के नतीजे कई लिहाज से अहम हैं। जो जीतेगा वह बढ़त पाकर आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी उत्साह से करता नजर आएगा।


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