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मप्र : अंबेडकर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति के खिलाफ जांच के आदेश

मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने महू स्थित डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कुप्रबंधन और घोर अनियमितताओं के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं

मप्र : अंबेडकर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति के खिलाफ जांच के आदेश
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भोपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने महू स्थित डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कुप्रबंधन और घोर अनियमितताओं के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भेजी एक सिफारिश में उच्च शिक्षा विभाग (डीएचई) ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भोपाल द्वारा डॉ. आशा शुक्ला के खिलाफ कथित घोर वित्तीय अनियमितताओं और नियमों एवं प्रक्रिया का पालन न करने की जांच की मांग की है।

उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव वीरन सिंह भलवी द्वारा 17 मई को जारी एक आदेश में कहा गया है, "डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू की पूर्व कुलपति के खिलाफ कुप्रबंधन, घोर अनियमितता और प्रक्रिया का पालन न करने के लिए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भोपाल से जांच का अनुरोध किया गया है।"

आशा शुक्ला को फरवरी में कुलपति के पद से हटाए जाने के चार महीने बाद इन कथित घोर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर अगला कदम अब देखने को मिला है। आशा शुक्ला को कथित वित्तीय अनियमितताओं और प्रक्रिया का पालन न करने के आरोपों के बाद कुलपति के पद से हटा दिया गया था।

हालांकि, तब आशा शुक्ला ने टर्मिनेशन लेटर जारी होने से पहले कुछ पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने इंदौर संभागीय आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा से जांच करने के आदेश दिए थे। संभागीय आयुक्त शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया और उच्च शिक्षा विभाग (डीएचई) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएचई ने महू विश्वविद्यालय में धारा 44 लागू करने की सिफारिश करते हुए फाइल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजी।

इसके बाद, डॉ. आशा शुक्ला के कार्यकाल के दौरान बी.आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंसेज (बीआरएयूएसएस) में स्थापित विभिन्न नए अध्ययन अध्यक्षों (स्टडी चेयर्स) के तहत किए गए कार्यो की वैधता की जांच और समीक्षा के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया।


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