मप्र : थानों में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट नही होने पर नोटिस
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश के पुलिस थानों व आउट पोस्ट पर अलग से महिला टॉयलेट नहीं होने के खिलाफ याचिका दायर पर गृह सचिव, डीजीपी और अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आज प्रदेश के पुलिस थानों व आउट पोस्ट पर अलग से महिला टॉयलेट नहीं होने के खिलाफ याचिका दायर पर गृह सचिव, डीजीपी और अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व न्यायाधीश व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए है।
जबलपुर के अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि पुलिस विभाग में काम करने वाली महिला अधिकारियों व महिला स्टाफ के लिए अलग से टॉयलेट होना चाहिए। महिला अधिकारियों व कर्मचारियों को कॉमन टॉयलेट का उपयोग करना पड़ रहा है। कार्यस्थल पर वाशरूम और रिटायरिंग रूम जैसी मूलभूत सुविधाएं कामकाजी महिलाओं के सम्मान से जुड़ी होती हैं। महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट न होना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
इन आधारों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि आज की स्थिति में अनावेदकों से स्टेटस रिपोर्ट बुलाकर यह देखा जाए कि वास्तव में कितने पुलिस स्टेशनों और आउट पोस्ट पर महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग से वाशरूम हैं। साथ ही जिन थानों में अलग से वाशरूम नहीं हैं, वहां पर निर्माण करवाने के निर्देश अनावेदकों को दिये जाये।
याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया। जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को चार सप्ताह का समय प्रदान किया है।


