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मप्र की स्वास्थ्य सेवाएं सवालों में घिरीं

मध्यप्रदेश में बीते कुछ दिनों में सामने आई घटनाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं को सवालों को घेरे में ला दिया है

मप्र की स्वास्थ्य सेवाएं सवालों में घिरीं
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भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते कुछ दिनों में सामने आई घटनाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं को सवालों को घेरे में ला दिया है। इन हालात को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है तो वहीं सरकार बेहतर सुविधाएं देने के वादे कर रही है। स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ी सामने आने की शुरुआत शहडोल से होती है, जहां एक पखवाड़े में 18 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को भी शहडोल भेजा, स्वास्थ्य अधिकारियों का दल गया। उसके बाद मुख्य जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी व सिविल सर्जन को हटा दिया है।

इसके बाद राजधानी के हमीदिया अस्पताल में तीन मरीजों की मौत का मामला सामने आया। शुरू में यह कहा गया कि बिजली गुल होने से तीन मरीजों की मौत हुई, मगर बाद में सफाई दी गई कि बिजली गुल होने से हादसा नहीं हुआ है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी रविवार को हमीदिया का भ्रमण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमीदिया अस्पताल में तीन मरीजों की मौत का कारण बिजली का गुल होना नहीं है।

वहीं, ग्वालियर में नकली प्लाज्मा के रैकेट का खुलासा हुआ है। कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थैरेपी का सहारा लिया जा रहा है। यहां के एक निजी अस्पताल में दतिया निवासी मरीज को प्लाज्मा की जरूरत हुई तो उसे एक स्वास्थ्य कर्मचारी की मदद से लाया गया, इसके एवज में 18 हजार रुपये दिए। मरीज को जैसे ही प्लाज्मा दिया गया तो उसकी मौत हो गई। बाद में पता चला कि यह प्लाज्मा ब्लड बैंक से लिया ही नहीं गया। प्लाज्मा की क्रास मैचिंग रिपोर्ट भी फर्जी साबित हुई।

इस मामले के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमा सक्रिया है। ग्वालियर के ब्लड बैंकों पर दबिश भी दी जा रही है। इस मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में भी लिया है।

राजधानी में हमीदिया अस्पताल में तीन मरीजों की मौत का कारण कांग्रेस ने लापरवाही बताया गया है। राज्य के पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा ने इस मामले की उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने संभागायुक्त द्वारा जांच कराए जाने पर सवाल उठाए और कहा कि मंत्री जो चाहेंगे, वही रिपोर्ट तो संभागायुक्त देगा।


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