मप्र हाईकोर्ट ने मुठभेड़ में मारे गए सिमी सदस्य की मां की याचिका खारिज की
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल में पिछले साल जेल तोड़ कर भागने के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सिमी के एक सदस्य की मां की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया
जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल में पिछले साल जेल तोड़ कर भागने के बाद कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक सदस्य की मां की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया।
खंडवा निवासी हुजरा बी ने मुठभेड़ मामले की जांच के लिए गठित आयोग की कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि न्यायिक जांच आयोग इस बात की जांच नहीं कर रहा है कि एनकांउटर में मारे गये आरोपी सिमी आतंकी थे या नहीं। आयोग आरोपियों के जेल से भागने और मुठभेड़ की जांच कर रहा है।
हुजरा बी ने अपनी याचिका में कहा था कि 31 अक्टूबर 2016 को भोपाल जेल से भागे जिन लोगों को पुलिस ने मारा था, उनमें उसका बेटा मोहम्मद सालिक भी था। उसका बेटा न्यायिक अभिरक्षा में था और उस पर लगे आरोप साबित नहीं हुए थे। मृतकों को खतरनाक आतंकवादी, देशद्रोही और सिमी कार्यकर्ता बताया गया था, जिससे उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।
इस पर युगलपीठ ने कहा कि मृतकों को आतंकी कहने से अगर परिवार की प्रतिष्ठा की क्षति होती है तो वह मानहानि का दावा कर सकते हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने सुनियोजित तरीके से सभी की हत्या की है।
मुठभेड़ की जांच के लिए सरकार ने सेवानिवृत न्यायाधीश एसके पाण्डे की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया है। आयोग द्वारा याचिकाकर्ता को गवाहों के प्रतिपरीक्षण की इजाजत नहीं दी जा रही है। इसके अलावा जेल तोड़ने संबंधित दस्तावेजों को परीक्षण करने भी नहीं दिया जा रहा है।
युगलपीठ ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद चार जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कल सामने आए युगलपीठ के 30 पृष्ठीय आदेश में कहा गया है कि जो दस्तावेज मांगे है वह जेल तोड़कर भागने से संबंधित हैं। इस संबंध में आयोग जांच कर रहा है। मृतकों के परिजनों को आयोग के समक्ष धारा 5(2)(बी) के तहत जांच के लिए उपस्थित होना था, उन्हें क्रॉस एग्जामिनेशन का अधिकार नहीं है। इस मत के साथ युगलपीठ ने दायर याचिका खारिज कर दी।
याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव व शासकीय अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा।


