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मप्र : मतदाता सूची से पूर्व मंत्री का नाम गायब, छोटे कर्मचारी पर गाज

 मध्य प्रदेश में मतदाता सूची से फर्जी मतदाता और प्रमुख लोगों के नाम काटे जाने के मामले सामने आने पर निचले दर्जे के कर्मचारियों पर गाज गिराने का दौर जारी है

मप्र : मतदाता सूची से पूर्व मंत्री का नाम गायब, छोटे कर्मचारी पर गाज
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भोपाल/टीकमगढ़। मध्य प्रदेश में मतदाता सूची से फर्जी मतदाता और प्रमुख लोगों के नाम काटे जाने के मामले सामने आने पर निचले दर्जे के कर्मचारियों पर गाज गिराने का दौर जारी है। टीमकमगढ़ में भी पूर्व मंत्री व परिवार का नाम गायब होने पर जिला निर्वाचन अधिकारी अभिजीत अग्रवाल ने विकासखंड स्तर अधिकारी व सहायक शिक्षक रोहित मिश्रा को निलंबित कर दिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि जिस लापरवाही के लिए स्वयं जिलाधिकारी जिम्मेदार हैं, मगर कार्रवाई एक सहायक शिक्षक पर की जा रही है, जो अन्यायपूर्ण है।

जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर तर्क दिया है कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में चिन्हित निर्वाचक जैसे कि सांसद, विधायक, विधानपरिषद सदस्य घोषित पदों पर आसीन कला, संस्कृति, पत्रकारिता खेल, न्याय पालिका एवं जनसेवा के सदस्यों के नाम निर्वाचक नामावली में दर्ज होना सुनिश्चित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे।

प्रशासन का कहना है कि विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 43-टीकमगढ़ के यादवेंद्र सिंह, सुषमा सिंह, शाश्वत सिंह मतदान केंद्र क्रमांक 31 (अनुभाग टीकमगढ़ वार्ड नं0 3 तालदरवाजा) के संबंध में जांच के बाद पाया गया कि इन मतदाताओं के नाम अनाधिकृत रूप से विलोपित किए गए हैं, जबकि निर्वाचक नामावली का प्रारूप प्रकाशन 31 जुलाई 2018 को किया जा चुका था। लिहाजा रोहित मिश्रा को लापरवाही के लिए निलंबित किया गया है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि राज्य में सरकार के इशारे पर प्रशासन फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने और कांग्रेस नेताओं या सरकार विरोधियों के नाम काटने में लगा है, बुंदेला और उनके परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ। यह सब जिला निर्वाचन अधिकारी के इशारे पर होता है और कार्रवाई छोटे कर्मचारी पर कर दी जाती है। वास्तव में दोषी तो टीकमगढ़ के कलेक्टर हैं।

सूत्रों का कहना है कि निर्वाचक नामावली में नाम जुड़ने अथवा कटने का काम बिना बीएलओ के फार्म भरे नहीं होता है, मगर बीएलओ ने इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है, उसके बावजूद पूर्व मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों के नाम गायब हो गए। बुंदेला भी आरोप लगा चुके हैं कि प्रशासनिक स्तर पर साजिश हुई है। जिला प्रशासन ने खुद को बचाने के लिए छोटे कर्मचारी की बलि चढ़ा दी है।


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