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मप्र संकट : न्यायालय की दहलीज पर पहुंचे सियासी घमासान में हाथापाई का दौर 

मध्य प्रदेश में चल रहा सियासी घमासान न्यायालय की दहलीज पर पहुंच गया है और हर किसी को न्यायालय से ही आस नजर आ रही है

मप्र संकट : न्यायालय की दहलीज पर पहुंचे सियासी घमासान में हाथापाई का दौर 
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भोपाल। मध्य प्रदेश में चल रहा सियासी घमासान न्यायालय की दहलीज पर पहुंच गया है और हर किसी को न्यायालय से ही आस नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर सियासी वार-पलटवार के साथ दोनों ही प्रमुख दलों के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर दो-दो हाथ तक करने पर उतारु हैं। इसके साथ ही दोनों दल अपने विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में लगे हैं। राज्य के बेंगलुरू में डेरा डाले कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता से लेकर फ्लोर टेस्ट का मसला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। बुधवार को सुनवाई हुई, आगे की सुनवाई गुरुवार को होना तय हुआ है। बेंगलुरू पहुंचे विधायकों को अब भी कांग्रेस अपना मानकर चल रही है और उसका आरोप है कि विधायकों को भाजपा ने बंधक बनाया है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कई मंत्रियों और विधायकों के साथ बेंगलुरू पहुंचे थे, उन्होंने बागी विधायकों से मिलने की कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

वहीं दूसरी ओर बागी विधायकों ने वीडियो संदेश जारी कर दिग्विजय सिंह से मुलाकात करने से साफ इंकार कर दिया। कांग्रेस ने इन वीडियो को दबाव में जारी किया जाना बताया है।

मुाख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य कांग्रेस नेताओं को बागी विधायकों से मुलाकात न करने देने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और ट्वीट कर कहा, "बेंगलुरू में भाजपा द्वारा बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों से मिलने गए कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह व कांग्रेस के मंत्रियों, विधायकों को मिलने से रोकना, उनसे अभद्र व्यवहार करना, उन्हें बलपूर्वक हिरासत में लेना पूरी तरह से तानाशाही व हिटलर शाही है।"

दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'बेंगलुरू में कांग्रेस के विधायकों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे अपनी मर्जी से वहां है और दिग्विजय सिंह से मिलना तक नहीं चाहते।'

कांग्रेस विधायकों ने भी बुधवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की और बेंगलुरू से विधायकों को मुक्त कराने का आग्रह किया, साथ ही कहा कि, वे अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग करें।

भाजपा ने निर्वाचन आयोग से दिग्विजय सिंह की शिकायत की और कहा है कि सिंह विधायकों पर दबाव बनाने बेंगलुरूगए, उन पर कार्रवाई की जाना चाहिए।

शिकायत में कहा गया है, "राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह प्रदेश सरकार के नौ मंत्रियों और अन्य लोगों के साथ बेंगलुरू गए हैं। उनका उद्देश्य बेंगलुरू में रह रहे राज्य विधानसभा के 16 सदस्यों पर इस बात के लिए दबाव डालना है कि वे 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव में उन्हें ही वोट दें।"

इतना ही नहीं भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए रिसॉर्ट-होटल का सहारा ले रही है। कांग्रेस ने जहां विधायकों को भोपाल के होटल मेरियट में ठहराया है, वहीं भाजपा ने राजधानी के नजदीकी जिले सीहोर के ग्रेसेस रिसॉर्ट में विधायकों को रोका है। दोनों ही दलों के कुछ नेताओं को छोड़कर आम विधायकों को होटल व रिसॉर्ट से बाहर जाने की आजादी नहीं है।

एक तरफ जहां दोनों प्रमुख दल एक दूसरे पर बयानों के जरिए वार-पलटवार करते रहे तो शाम होते-होते यह बात मारपीट पर आ गई। कांग्रेस के कार्यकर्ता विधायकों को बेंगलुरू में बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा का प्रदेश कार्यालय घेरने जा पहुंचे। इस पर दोनों ही दलों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए और लाठी-डंडे तक चले। हाथपाई हुई और जूते-चप्पल तक चले। इसके बाद भारी तादाद में सुरक्षा बलों की भाजपा दफ्तर में तैनाती की गई है।


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