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मप्र भाजपा की 'अपने' असंतुष्टों पर खास नजर

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने कुछ समय बाद होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तैयारी तेज कर दी है और उसकी खास नजर पार्टी के ही उन लोगों पर है

मप्र भाजपा की अपने असंतुष्टों पर खास नजर
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भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने कुछ समय बाद होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तैयारी तेज कर दी है और उसकी खास नजर पार्टी के ही उन लोगों पर है, जो अब तक विरोध के स्वर मुखरित करते रहे हैं।

राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थकों की वजह से हुई है। यही कारण है कि भाजपा को इन दल-बदल करने वालों को खास महत्व देना पड़ रहा है। इससे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की न चाहते हुए भी उपेक्षा हुई। साथ ही उन 25 लोगों को भी उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार बनाने जा रही है, जो कांग्रेस से छोड़कर भाजपा में आए हैं।

एक तरफ जहां सत्ता में हिस्सेदारी न मिलने से भाजपा के कई विधायक और नेता नाराज हैं, वहीं पिछला विधानसभा चुनाव हारने वाले पार्टी के उम्मीदवार भी पार्टी के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है, यही कारण है कि बीच-बीच में पार्टी के भीतर से ही नाराजगी की आवाज आने लगती है।

पिछले दिनों पूर्व मंत्री दीपक जोशी और अजय विश्नोई ने कई मामलों को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। इतना ही नहीं, पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के नेतृत्व में तो कई नेताओं ने बैठक कर डाली। इन मामलों को पार्टी ने गंभीरता से लिया और इन नेताओं से बातचीत भी की। यही कारण है कि असंतोष जाहिर करने वाले नेताओं के स्वर बदले हुए हैं और वे कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी बात संगठन के सामने रख दी है और संगठन ने उसे गंभीरता से भी लिया है। वे यही चाहते थे।

वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा किसी भी तरह के असंतोष की बात को हालांकि नकारते हैं। उनका कहना है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। सभी उपचुनाव की तैयारी में जुटे हैं और जीतना संगठन का लक्ष्य है।

वहीं, 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जीत का दावा कर रहे हैं और उनका कहना है कि भाजपा चार सीटों का ही नाम बता दे, जहां वह उपचुनाव में जीतने वाली है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव राज्य की सियासत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में लगी है। भाजपा में बीच-बीच में असंतोष के स्वर भी सुनाई दे जाते हैं और पार्टी के लिए यह चिंता का विषय भी है। मगर भाजपा संगठन में असंतोष स्वर ज्यादा दिन तक सुनाई नहीं देते, यही उसकी ताकत है। जिन्होंने अब तक कुछ भी बोला है, वे अब शांत हैं, क्योंकि संगठन का दबाव और मान-मनौव्वल में भाजपा जैसा दूसरा राजनीतिक दल नहीं है।

राज्य में आगामी समय में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें से पच्चीस वे क्षेत्र हैं, जहां कांग्रेस के विधायक पिछले चुनाव में जीते थे और उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ भाजपा की सदस्यता ले ली है। वहीं दो स्थान विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुए हैं।


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