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मप्र विधानसभा की कार्यवाही कोरोना पर गंभीर चर्चा के साथ स्थगित

मध्यप्रदेश विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में आठ विधेयकों को पारित किए जाने के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया

मप्र विधानसभा की कार्यवाही कोरोना पर गंभीर चर्चा के साथ स्थगित
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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में आठ विधेयकों को पारित किए जाने के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस दौरान कोरोना संकट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बीच आरोप और सफाई का दौर चला। राज्य विधानसभा सत्र की कार्यवाही महज पौने दो घंटे ही चली और इस दौरान आठ विधेयकों मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक 2020,मध्यप्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2020, मध्यप्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2020, मध्यप्रदेश साहूकार संशोधन विधेयक 2020, अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक 2020, मप्र वित्त विधेयक 2020, मप्र वैट संशोधन विधेयक 2020, मप्र विनियोग (क्र-दो) विधेयक 2020 को सदन के पटल पर रखा गया और परित कर दिया गया।

इस दौरान कोरोना के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ आमने-सामने रहे। कोरोना की स्थिति पर दोनों ओर से अपनी बात को गंभीरता से रखा गया। कमल नाथ ने कहा कि कोरोना महामारी से पीड़ित लोगों के साथ इलाज में लापरवाही बरती जा रही है। सरकार निजी अस्पतालों पर निगरानी तंत्र विकसित करने के साथ ही जन शिकायतों के लिए केंद्र स्थापित करे, ताकि लोग अपनी तकलीफ सरकार तक पहुंचा सकें।

पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री से कोरोना को लेकर सरकार द्वारा किए गए इंतजामों की जानकारी मांगी। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य के बाद सदन में कहा कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 पर भारी लापरवाही बरती जा रही है। जिन्हें बीमारी नहीं है, उनकी परीक्षण रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है, ऐसी कई शिकायतें उनके पास आई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी बताया गया है कि कोविड-19 के मरीज के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी जाती ना ही कोई कागजात दिए जाते हैं। हदयगति रुकने, फेफड़ों की गड़बड़ी होना कारण बताया जाता है, लेकिन उसके लिए किए गए इलाज की कोई जानकारी नहीं दी जाती। कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों के लिए ऑक्सीजन और वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की लापरवाही ज्यादातर निजी अस्पतालों में हो रही है, जिन्हें सरकार ने कोविड-19 सेंटर बनाया है। सरकार को अपनी जानकारी के लिए एक जन शिकायत केंद्र बनाना चाहिए, जिससे लोग अपनी व्यथा सरकार तक पहुंचा सके। इसके साथ ही कोरोना इलाज में पूरी पारदर्शिता बरती जाए और कोरोना पीड़ित व्यक्तियों के बारे में किए गए इलाज की पूरी जानकारी उनके परिजनों को दी जाए।

कमल नाथ के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है, यह न पक्ष का है और न विपक्ष का। देश के साथ मध्यप्रदेश में भी पूर्णबंदी की गई थी और यह बात सही है कि अनलॉक के बाद मध्यप्रदेश में भी संक्रमण बढ़ा है।

उन्होंने कहा, "बीते छह माह में कोई भी दिन ऐसा नहीं है, जब मैंने कोविड-19 और अपनी टीम के साथ लगातार नजर न रखी हो। 21 सितंबर की स्थिति मध्यप्रदेश में एक लाख आठ हजार से ज्यादा मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं, मगर संतोष की बात यह है कि 77 फीसदी से अधिक रिकवरी रेट है।

चौहान ने आगे बताया कि राज्य में 2007 मरीजों की मौत हुई है। राज्य में संक्रमण के बढ़ने के साथ अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाना एक चुनौती था, अस्पतालों की कुल क्षमता 2428 बिस्तर की थी, जिसे बढ़ाकर 24650 में बदला गया।

चौहान ने आगे कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की उपलब्धि क्षमता 50 टन की थी, जिसे बढ़ाकर 130 टन किया गया। 30 सितंबर तक इसको 150 टन कर लिया जाएगा। भारत सरकार के सहयोग से प्रतिदिन 50 टन अतिरिक्त ऑक्सीजन भी राज्य को मिल रही है। इस बीमारी के दौर से कैसे उबरा जाए, इसके लिए दोनों दलों को मिल-बैठकर तय करना चाहिए।

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा परिसर में पहुंचने पर तमाम विधायकों की जांच की गई। शुरुआत में विधानसभा की कार्यवाही दिवंगतों के सम्मान में पांच मिनट के लिए स्थगित की गई। उसके बाद संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अध्यादेशों और पत्रों को पटल पर रखा।

सदन में प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा द्वारा विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देने वाले सदस्यों की सूचना सदन को दी गई। अध्यक्ष ने सदन को सूचित किया कि वित्तमंत्री की अनुपस्थित में संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उनके कार्य संपादित करेंगे। तमाम प्रशासकीय कार्य पूरा होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।


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