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फिल्म रिव्यु - मोतीचूर चकनाचूर 

फिल्म का नाम कुछ ज्यादा ही हटकर है मोतीचूर चकनाचूर, मोतीचूर से ही पता चल जाता है की यह फिल्म शादी को लेकर ही बनाई गयी है और शादी का लड्डू कब चकनाचूर हो जाए यह कहा नहीं जा सकता

फिल्म रिव्यु - मोतीचूर चकनाचूर 
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यह सप्ताह दो अलग अलग मूड की फिल्में लेकर आया जो दर्शकों को खींचने में कितनी सफल हो पाएंगी यह तो अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन दर्शकों के पास चॉइस है की वो किस तरह की फिल्म देखना चाहते है एक मरजावां जिसमें एक्शन, इमोशन और मसाला तीनो है और दूसरी मोतीचूर चकनाचूर जिसमें कॉमेडी के भरपूर पंच है या फिर हॉलीवुड की फिल्म 'फोर्ड वर्सस फेरारी' जोकि सच्ची कहानी पर आधारित है, एक वक़्त था जब रेसिंग के लिए फेरारी गाड़ियों का ही वर्चस्य रहा था, लेकिन उस वक़्त फोर्ड कंपनी की कार उसे रेसिंग में हराती है और दुनियां को दिखा देती है की ज़ज़्बा, हिम्मत और ताक़त हो तो कोई भी बड़ा काम आसानी से किया जा सकता है, निर्देशक जेम्स मैनगोल्ड की इस फिल्म में क्रिश्चियन बेल, मैट डेमन, केट्रियोना बाल्फे, जोश लूकस, नोआ ज्यूप, ट्रेसी लेट्स और जॉन बर्नथल जैसे कलाकार है।

फिल्म रिव्यु - मोतीचूर चकनाचूर

कलाकार - नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अथिया शेट्टी, विभा छिब्बर, नवनी परिहार, अभिषेक रावत, विवेक मिश्रा, संजीव वत्स, उषा नागर और करुणा पांडे।

फिल्म का नाम कुछ ज्यादा ही हटकर है मोतीचूर चकनाचूर, मोतीचूर से ही पता चल जाता है की यह फिल्म शादी को लेकर ही बनाई गयी है और शादी का लड्डू कब चकनाचूर हो जाए यह कहा नहीं जा सकता। यह फिल्म है मध्यवर्गी परिवार की जो अपनी समस्याओं में इतने घुसे होते है की उनको यहाँ से निकलना बमुश्किल लगता है। मध्यम वर्ग की परेशानियों को दिखाती हुई निर्देशक देवा मित्रा बिस्वाल की यह फिल्म दर्शकों को पसंद आ सकती है। यह एक ड्रामा कॉमेडी फिल्म है जिसमें बढियाँ बढियाँ पंच है जो दर्शकों को हँसाने में कामयाब रहेगी। भोपाल में रहने वाली अनीता उर्फ़ एनी यानि अथिया शेट्टी को लंदन अमेरिका में रहने वाले से शादी करनी है ताकि वो वहां जाकर अपनी लाइफ को एन्जॉय कर सके और बढ़िया बढ़िया फोटो सोशल मीडिया पर डालें ताकि उसकी सहेलियां जलभुन जाए इसीलिए वो आसपास के सभी लड़कों को रिजेक्ट करती जाती है ऐसे में ही उसी गांव में रहने वाला पुष्पेंद्र त्यागी यानि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी सात साल दुबई में नौकरी करने के बाद घर लौटता है, घर की सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा करते करते उसकी शादी की उम्र छत्तीस हो गयी है और अब वो जल्दी से जल्दी शादी करना चाहता है इसीलिए पुष्पेंद्र की माँ विभा छिब्बर भी चाहती है की उसका घर बस जाए और उसके लिए काफी लड़कियां देख चुकी है और पुष्पेंद्र खुद अपने भाई से कह देता है की कोई भी मोटी, काली जैसी भी लड़की हो वो शादी के लिए तैयार है। उधर एनी जिससे शादी करना चाहती है उससे उसका रिश्ता टूट जाता है और इसी बीच उसकी मौसी करुणा पांडे उससे कहती है की तू लंदन अमेरिका को छोड़ और जो दुबई से आया है उससे प्यार का नाटक कर और शादी कर ले। एनी पुष्पेंद्र से प्यार का नाटक करती है और उससे चुपचाप शादी कर लेती है लेकिन जल्द ही पुष्पेंद्र को पता चल जाता है की एनी ने उससे शादी प्यार के लिए नहीं दुबई के लिए की है और एनी को पता चल जाता है की पुष्पेंद्र ने दुबई की नौकरी छोड़कर यहीं बसने का फैसला किया है। अब आगे क्या होता है यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा। कहानी की शुरुआत रोमांचक अंदाज़ से होती है लेकिन इंटरवल तक फिल्म थोड़ी धीमी गति पकड़ती है जो बोरियत पैदा करती है। फिल्म को थोड़ा एडिट किया जा सकता था। फिल्म में सभी ने बेहतरीन एक्टिंग की है खासकर नवाज़ुद्दीन ने जो कॉमेडी को अपनी बॉडी लैंग्वेज से कमाल बना देते है वही अथिया ने भी मध्यमवर्गी लड़की की ज़िन्दगी को बेहतरीन तरीके से निभाया है वही साथी कलाकार भी फिल्म को गति देने में कामयाब हुए है।



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