अधिकांश भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आशावान : सर्वे
आईएएनएस-सीवोटर स्टेट ऑफ द नेशन पोल 2020 के अनुसार, भारतीय देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रुख बनाए हुए है

नई दिल्ली। आईएएनएस-सीवोटर स्टेट ऑफ द नेशन पोल 2020 के अनुसार, भारतीय देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रुख बनाए हुए है, ऐसा विकास मापदंडों के छह साल के निचले स्तर जाने के बाद भी है और बेरोजगारी और महंगाई आम नागरिकों पर असर डाल रही है। जनता के बड़े तबके 62 फीसदी का कहना है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी और 2019 की स्थितियों के बावजूद भी 2020 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। लोगों की समग्र मनोदशा आशावान है। वे नए साल की सुबह का स्वागत आशा व सकारात्मकता के साथ करते हैं।
दूसरी ओर, सर्वेक्षण में शामिल 23.5 फीसदी लोगों को लगता है कि अर्थव्यवस्था खराब रहेगी जबकि 14.5 फीसदी को कोई भी बदलाव नहीं होता दिख रहा है।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए सी वोटर के यशवंत देशमुख ने कहा कि हालांकि ज्यादातर लोग आर्थिक मोर्चे पर चीजें जिस तरह बढ़ रही हैं उसे लेकर आशावादी हैं, लेकिन वे बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, "सरकार को आशावाद को बनाए रखने के लिए इन दो मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत होगी।"
सर्वेक्षण में मूल्य वृद्धि पर करीब 34.2 फीसदी लोगों का मानना है कि 2020 में चीजें बेहतर हो जाएंगी, लेकिन 46.8 फीसदी का मानना है कि चीजे बिगड़ भी सकती है। देश पहले ही प्याज की ज्यादा कीमतों का सामना कर रहा है, जबकि दूसरे खाद्य पदार्थो की कीमत भी ज्यादा है।
हालांकि सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ बिंदुओं पर दबाव का इशारा है, लेकिन फिर भी मनोदशा में उत्साह का संकेत दिया गया है।
देश की जीडीपी विकास दर सितंबर की तिमाही में गिरकर 4.5 फीसदी पर आने के बावजूद लोग आशावादी बने हुए है। 4.5 फीसदी की जीडीपी छह सालों में सबसे कम है। बेरोजगारी दर भी 45 सालों के उच्च स्तर पर है, विकास रोजगार विहीन है। इन सबके बीच लोगों को खाद्य पदार्थो की कीमते रोजमर्रा की गतिविधि में परेशान कर रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने दिसंबर के शुरू में कहा कि आईएमएफ भारत की जनवरी में वृद्धि अनुमान को नीचे करेगा। आईएमएफ ने वर्तमान में भारत की वृद्धि का 2019 में 6.1 व 2020 में 7 फीसदी का अनुमान लगाया है।
गोपीनाथ ने कहा, "हमारी उम्मीद यह थी कि वित्तवर्ष 2019-20 की पहली दो तिमाहियां धीमी होंगी और इसके बाद तीसरी और चौथी तिमाही में इजाफा होगा। कुछ संकेतकों को देखते हुए हम इस तरह का अनुमान नहीं देख रहे हैं, जैसा लगाया था, इसलिए मैं कहना चाहती हूं कि हम फिर से आंकड़ों को जनवरी में संशोधित कर रहे हैं।"
अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों खुदरा, बुनियादी ढांचे, बिजली, ऑटोमोबाइल में बीते एक साल में बड़ी मंदी देखने की मिली है और अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बनी हुई है।
हालांकि सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई उपायों को अपनाया है और प्रणाली में तरलता को बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन इसके प्रभाव अभी तक दिखाई नहीं दिए हैं।


