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भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना का 80 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा : नितिन नबीन

बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नबीन ने कहा कि राज्य में भारत-नेपाल सीमा से सटे सात जिलों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना का कार्य अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है

भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना का 80 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा : नितिन नबीन
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पटना। बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नबीन ने कहा कि राज्य में भारत-नेपाल सीमा से सटे सात जिलों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना का कार्य अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। परियोजना के अंतर्गत 80 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि इस सीमा सड़क परियोजना के तहत कुल 554 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जाना है, जिसमें से अब तक 450 किलोमीटर से अधिक सड़क निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। निर्माण कार्य की वर्तमान प्रगति को देखते हुए सड़क को इस साल दिसंबर तक पूर्ण कर आम जनता को समर्पित करने का लक्ष्य तय किया गया है।

मंत्री ने कहा कि पश्चिम चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर किशनगंज के गलगलिया होते हुए सिलीगुड़ी तक जाने वाली इस महत्वपूर्ण केंद्रीय परियोजना का निर्माण 2,486.22 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, परियोजना के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण और 131 पुल, पुलियों के निर्माण के लिए राज्य सरकार की ओर से लगभग 3,300 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। यह सड़क पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों को आपस में जोड़ेगी।

उन्होंने बताया कि इसके निर्माण से सीमावर्ती क्षेत्र के लाखों लोगों को व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कृषि उत्पादों के निर्बाध आवागमन के लिए एक सुगम, सुरक्षित और सीधा संपर्क मार्ग उपलब्ध होगा।

मंत्री ने कहा, "यह सड़क सीमा सुरक्षा बल की चौकियों तक तेज और सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करेगी। यह सड़क अवैध घुसपैठ और तस्करी जैसी गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण का माध्यम बनेगी। साथ ही सीमावर्ती गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ते हुए किसानों और स्थानीय निवासियों के लिए निर्बाध परिवहन सुविधा उपलब्ध कराएगी।"

यह योजना वर्ष 2010 में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सीमा सुरक्षा बल की चौकियों को सड़क मार्ग से जोड़ना और सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित करना था। भारत-नेपाल की कुल 729 किलोमीटर लंबी सीमा में से बिहार की 554 किलोमीटर सीमा इस सड़क परियोजना के दायरे में आती है।

उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार को मिलाकर इस मार्ग की कुल लंबाई 1,372 किलोमीटर होगी।


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