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चार साल में 50 हजार से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भाजपा की विफल नीतियों के चलते देश संकटग्रस्त हो गया है

चार साल में 50 हजार से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भाजपा की विफल नीतियों के चलते देश संकटग्रस्त हो गया है। महंगाई पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। नोटबंदी और जीएसटी ने बड़े पैमाने पर आर्थिक अराजकता फैलाई है। व्यापार का पूरा ढांचा ही नेस्तनाबूद हो गया है।

उन्होंने कहा कि किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है। खाद, बीज, बिजली की किल्लत है। ऐसे में जनसामान्य की जिंदगी तबाह हुई है। चार साल में 50 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। मगर किसान के बजाय भाजपा पूंजीपति घरानों की सुख-सुविधा पर ही ध्यान देती रही और दे रही है।

अखिलेश ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि जबसे भाजपा ने केंद्र और राज्य में सत्ता संभाली है, कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। भाजपा ने गेहूं और गन्ना किसानों को धोखा दिया। गेहूं खरीद में खूब धांधली हुई। गन्ना मिलों में पेराई सत्र शुरू हो गया है, पर किसान को बकाया धन नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि अभी ज्वार, बाजरा, उड़द, मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हुआ, पर हकीकत यह है कि किसान को ज्वार के घोषित 2400 रुपये की जगह मात्र 1200 रुपये, बाजरा के घोषित मूल्य 1950 की जगह 1300 रुपये, उड़द का घोषित मूल्य 5600 की जगह 3500 रुपये और मक्का के घोषित मूल्य 1700 की जगह मात्र 1000 रुपये ही मिल रहे हैं। कोई खरीद केंद्र नहीं खोला गया है। इसलिए किसान बिचैलियों और आढ़तियों के हाथों लुटने को मजबूर हैं।

अखिलेश ने कहा कि एक ओर तो किसान को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है तो दूसरी तरफ डीएपी खाद में 800 रुपये प्रति कुंतल वृद्धि कर दी गई है, जिससे वह 1100 से 1500 रुपये प्रति कुंतल बिक रही है। 50 किलो यूरिया जो गतवर्ष 299 रुपये में मिलती थी, अब 320 रुपये में बिक रही है। एनपीके (50 किलो) गतवर्ष के दाम 1,140 की जगह 1,350 रुपये बाजार में बिक रही है। 100 किलो गेहूं का बीज गतवर्ष 2,800 रुपये था, अब 3,280 रुपये में मिल रहा है। अरहर, उड़द और मसूर दाल दस से 15 रुपये महंगी हो गई है।

अखिलेश ने कहा कि घरेलू गैस सिलेंडर (14.2 किलो) के दाम 979.50 रुपये हो गए हैं। सरसों का तेल और रिफाइंड के दाम भी बढ़ गए हैं। बिजली की दरों में भी इजाफा हुआ है। डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी से मालभाड़ा भी बढ़ता जा रहा है। इन वजहों से किसान और ज्यादा कर्जदार होता जा रहा है और मजबूरन फांसी के फंदे पर झूल जाता है।

अखिलेश ने कहा कि किसान के बजाय भाजपा पूंजीपति घरानों की सुख-सुविधा पर ज्यादा ध्यान देती है। भाजपा इन पूंजीपतियों की खुद कर्जदार है। आम जनता का पैसा पूंजीपतियों को देकर अपना कर्ज चुका रही है और अगले चुनाव में फिर उनसे कर्ज लेकर चुनाव में झोंकने की जुगत में लगी है।

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा नेतृत्व के पास सिवाय गुमराह करने और अफवाहें फैलाने के, दूसरा कोई काम नहीं है। सोशल मीडिया में झूठ फैलाने के लिए भाजपा ने साइबर आर्मी तैनात कर रखी है। इनके झूठे वादे और फरेबी नीयत अब सबके सामने आ गया है।

अखिलेश ने कहा कि किसानों की आय दुगनी करने का खूब हल्ला मचा, लेकिन आज तक उसका ब्योरा नहीं मिल पाया है। अभी कृषिकुंभ के नाम पर किसानों को सिर्फ बहकाने का प्रयास हुआ था। कोई किसान अब धोखा खाने के लिए तैयार नहीं है।


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