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मप्र में 200 से ज्यादा लोगों ने जीती कोरोना से जंग

मध्यप्रदेश के लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबला करने का जज्बा भी है, यही कारण है कि राज्य में अब तक 210 मरीज कोरोना पर जीत दर्ज कर चुके हैं

मप्र में 200 से ज्यादा लोगों ने जीती कोरोना से जंग
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भोपाल। मध्यप्रदेश के लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबला करने का जज्बा भी है, यही कारण है कि राज्य में अब तक 210 मरीज कोरोना पर जीत दर्ज कर चुके हैं। आधिकारिक तौर पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 1846 लोग कोरोना के पीड़ित हैं। इनमें से 210 मरीज स्वस्थ होकर अस्पतालों से अपने घर लौट चुके हैं। इस तरह अब तक 11 प्रतिशत से ज्यादा लोग कोरोना को मात दे चुके हैं।

इस सफलता का श्रेय स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए प्रयासों को भी जाता है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश के 50 प्रतिशत जिले कोरोना के प्रकोप से पूरी तरह मुक्त हैं। प्रदेश में पीपीई किट्स, टेस्टिंग किट्स, फेस मास्क, टेबलेट्स, ऑक्सीजन सिलेंडर्स, वेंटिलेटर्स, आईसीयू बेड्स, आइसोलेशन बेड्स आदि की पर्याप्त उपलब्धता है। सरकारी और निजी चिकित्सालय और उनके चिकित्सक व मेडिकल स्टाफ सभी रात-दिन मरीजों की देखभाल में लगे हैं। प्रदेश में कोरोना की प्रतिदिन टेस्टिंग क्षमता बढ़कर 2000 हो चुकी है ।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोविड अस्पतालों में मरीजों का हल्के-फुल्के माहौल में इलाज हो रहा हैं, जिससे उन्हें बोझ महसूस न हो। इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि उनका मनोबल बढ़े और वे घबराएं नहीं।

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोविड पॉजिटिव रोगियों का संस्थागत प्रथक्करण कर समर्पित कोविड संस्थानों में उपचार कराना प्रदेश की रणनीति का मूल सिद्धांत रहा। कोविड के अत्यंत हल्के लक्षणों से ग्रस्त रोगियों को देखभाल और उपचार के लिए कोविड केयर सेंटर में रखा गया।

स्वास्थ्य विभाग की योजना के मुताबिक, चिकित्सकीय रूप से वर्गीकृत मध्यम श्रेणी के संभावित और पुष्ट रोगियों के उपचार की व्यवस्था समर्पित कोविड स्वस्थ केंद्रों के रूप में चिन्हित शासकीय और निजी चिकित्सालयों में की गई। गंभीर श्रेणी के रोगियों की देखभाल और उपचार के लिए शासकीय या निजी समर्पित कोविड चिकित्सालय में आवश्यक व्यवस्थाएं की गईं।

इन चिकित्सालयों में ऑक्सीजन आपूर्ति, वेंटिलेटर और अन्य आईसीयू सुविधाएं सुनिश्चित की गईं। रोगियों के प्रबंधन में भोजन, स्वच्छता सहित समस्त क्लीनिकल मापदंड का पालन अनिवार्यत: सुनिश्चित किया गया। उसी के चलते मरीजों की सेहत में सुधार संभाव हो पा रहा है।


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