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दिल्ली में कोरोना से अनाथ हुए 100 से अधिक बच्चे, 2,500 ने माता-पिता में से 1 को खोया

दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में 100 से अधिक बच्चे कोरोना के कारण अनाथ हो गए, जबकि लगभग 2,500 बच्चों ने अपने माता या पिता में से किसी एक को खो दिया

दिल्ली में कोरोना से अनाथ हुए 100 से अधिक बच्चे, 2,500 ने माता-पिता में से 1 को खोया
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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में 100 से अधिक बच्चे कोरोना के कारण अनाथ हो गए, जबकि लगभग 2,500 बच्चों ने अपने माता या पिता में से किसी एक को खो दिया। दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) के मुताबिक, 250 से अधिक अनाथ बच्चों की पहचान की गई है। इसके साथ ही दिल्ली में बीते एक वर्ष के दौरान 6,000 से अधिक ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता या पिता की मौत हो गई है। इनमें में से करीब 40 फीसदी लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई है।

डब्ल्यूसीडी का कहना है कि अनाथ हुए सभी बच्चों में से करीब 230 से अधिक बच्चों को देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है। एकल-माता-पिता के मामलों में 5,000 से अधिक मामलों को देखभाल और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत है। विभाग ने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है व इन बच्चों की पहचान कर ली गई है।

विभाग का मानना है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी कारण से अकेले रह गए इन बच्चों की देखभाल और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।

महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने यह आंकड़ा दिल्ली के सभी जिलों में कार्यरत बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति एवं एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अन्य माध्यमों से जुटाया है। माता-पिता को खो चुके करीब 170 बच्चों के बैंक अकाउंट खुलवाए गए हैं, ताकि उनको आर्थिक मदद पहुंचाई जा सके।

दिल्ली में 'मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार आर्थिक सहायता' योजना की शुरुआत की भी गई है। इस योजना के तहत कोरोना से जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिवार को एकमुश्त 50 हजार रुपए की राशि देने का ऐलान किया गया था। साथ ही कोरोना से जान गंवाने वालों के आश्रित को हर महीने 2500 रुपए देने की घोषणा भी की गई थी। अनाथ हुए बच्चों को भी 25 साल की उम्र तक हर महीने 2500 रुपये देने का ऐलान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से किया गया है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कह चुके हैं, "हम लोगों के आवेदन करने का इंतजार नहीं करेंगे, बल्कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि उनके घर जाकर खुद फार्म भरवाएंगे।" सीएम ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रतिनिधि कागजों में कमियां नहीं निकालेंगे। अगर कागज पूरे नहीं हैं, तो उसे बनवाने की जिम्मेदारी भी प्रतिनिधि की होगी।


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