औद्योगिक की तुलना में आवासीय सेक्टर की हवा में घुल रहा ज्यादा जहर
बरिश के बाद भी आवासीय सेक्टर प्रदूषण से अछूते नहीं है
नोएडा। बरिश के बाद भी आवासीय सेक्टर प्रदूषण से अछूते नहीं है। यहा जहरीली गैसों की मात्रा औद्योगिक सेक्टरों की तुलना में ज्यादा है। यह हम नहीं बल्कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े बया कर रहे है।
वैज्ञानिकों की माने तो आने वाले महीनो में कोहरे की समस्या होगी। जिससे इन सेक्टरों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा। शहर में प्रदूषण मापने के लिए दो स्टेशन है। पहला आवासीय स्थिति के लिए सेक्टर-1 में स्टेशन बनाया गया है जबकि औद्योगिक क्षेत्र के लिए सेक्टर-6 में स्टेशन है। जुलाई माह के अंत में लिए गए आंकड़े चौकाने वाले है। माना जाता है कि बारिश होने से धूल व प्रदूषण के कण जमीन में बैठ जाते है।
लेकिन यहा ऐसा देखने को नहीं मिला। दरसअल, शहर में चलायमान यातायात प्रदूषण पर हावी होता दिख रहा है। इस वजह से यहा प्रदूषण कम होने की बजाए बढ़ रहा है। आंकड़ों को देखे तो जुलाई में आवासीय सेक्टर में एसओटू की मात्रा 10.12 रही। जबकि औद्योगिक क्षेत्र में यह मात्रा 9.60 ही रिकार्ड की गई। वहीं, एनओटू की मात्रा आवासीय सेक्टर में 32.52 व औद्योगिक क्षेत्र में 32.35 रही। यानी दोनों ही जहरीली गैसों का असर आवासीय सेक्टर में ज्यादा है। इसी तरह पीएम-10 की मात्रा 155.45 व पीएम 2.5 की मात्रा 91.37 रही।
जबकि औद्योगिक सेक्टर में पीएम-10 की मात्रा 139.25 रही। ऐसे में औद्योगिक सेक्टर की तुलना में आवासीय सेक्टर ज्यादा प्रदूषित है। शहर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में वाहन आते है। संकुचित क्षेत्र होने हरियाली कम होने की वजह से वाहनों से निकलने वाला धुआं व गैसे वातावरण में अपना स्थान काबिज किए हुए है। बारिश की वजह से दो से तीन दिन प्रदूषण से राहत तो मिलती है। लेकिन अंत में स्थिति जस की तस हो रही है। तमाम सख्ती व एनजीटी के आदेश भी प्रदूषण को रोकने में असमर्थ है।


