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भूपेश बघेल की बढ़ती चुनौतियों में भाजपा से ज्यादा जांच एजेंसियां

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पहली ऐसी कांग्रेस सरकार है जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है।

भूपेश बघेल की बढ़ती चुनौतियों में भाजपा से ज्यादा जांच एजेंसियां
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रायपुर । छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पहली ऐसी कांग्रेस सरकार है जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। इस सरकार का कार्यकाल भले पूरा हो गया हो, मगर चुनौतियां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने अब भी कम नहीं हुई हैं। एक तरफ जहां उनके सामने विरोधी दल भाजपा चुनौती बनकर खड़ा है तो दूसरी ओर कांग्रेस के भीतर से भी उन्हें चुनौतियां मिल रही हैं।

राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों की अभी पहली सूची आई है, जिसमें 30 उम्मीदवारों के नाम हैं। बाकी सीटों पर अभी ऐलान होना बाकी है। कांग्रेस के भीतर दावेदारों में व्याकुलता है, तो वहीं भाजपा लगातार बघेल पर हमलावर है। मतांतर से लेकर हिंदुत्व ऐसे मुद्दे हैं जिनके जरिए भाजपा बघेल को घेरने की कोशिश में लगी है। वहीं कांग्रेस के अंदर भी बघेल के खिलाफ स्वर उठते रहे हैं। ये वो लोग हैं जिनके टिकट कटने की आशंका सता रही है।

राज्य में भाजपा ने भूपेश बघेल पर कई आरोप लगाए है, शराब घोटाला, रेत घोटाला, कोयला घोटाला, गोबर खरीदी और गोठान योजना में बड़े पैमाने पर घोटाले होने की आरोप लगाए हैं। साथ ही आदिवासी इलाकों में भाजपा हिंदुत्व और मत्तांतरण को बड़ा मुद्दा बनाकर चल रही है।

भाजपा ने हिंदुत्व, मतांतरण, लव जेहाद जैसे मुद्दों पर भूपेश बघेल सरकार पर हमले बोले हैं और उनकी हिंदू विरोधी छवि बनाने की कोशिश की है। वहीं छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में घोटाले किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैंं। ये ऐसे मामले हैं जो कांग्रेस और भूपेश बघेल के लिए चुनौती बने हुए हैं।

इतना ही नहीं केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई भी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली है। कई नेताओं और अधिकारियों के यहां दी गई दबिश में करोड़ों रुपए बरामद हुए हैं, साथ ही गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इन्हीं मामलों को लेकर भाजपा भ्रष्टाचार के सरकार पर खुले तौर पर आरोप लगा रही है।

एक तरफ जहां भाजपा पूरी तरह भूपेश बघेल पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस के अंदर भी कई नेता ऐसे हैं जो भूपेश बघेल के लिए चुनौती देने की तैयारी में हैं। पिछले दिनों मंत्रिमंडल में हुए बदलाव के बाद भी उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठे, मगर बाद में उन्हें शांत कर दिया गया। इसी तरह कई विधायकों के टिकट कटने की बात सामने आ रही है और इसी को लेकर कई दावेदार मोर्चा खोलने का मन बना रहे हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो भूपेश बघेल के सामने एक तरफ जहां भाजपा बड़ी चुनौती बन रहा है तो वहीं पार्टी के भीतर भी असंतोष की आशंका है और यह आशंका तब तक है जब तक पार्टी की ओर से उम्मीदवार तय नहीं हो जाते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भूपेश बघेल बघेल ने जमीनी स्तर पर जमावट बेहतर कर रखी है और विधायकों से उनकी नजदीकियां भी हैं। साथ ही राज्य के हर हिस्से से भी वाकिफ हैं। उन्होंने भेंट मुलाकात के जरिए राज्य की सभी विधानसभा सीटों का दौरा किया, राजनीतिक आकलन किया और वहां के विधायक की स्थिति का भी विवरण तैयार किया। लिहाजा पार्टी के भीतर अगर टिकट काटने पर विधायक बगावत भी करते हैं तो बघेल के पास वैकल्पिक इंतजाम खूब हैं।

भाजपा के हमले हो रहे हैं, मगर उनका ज्यादा असर नहीं है। आने वाले दिनों में तय होगा कि बघेल के सामने बड़ी चुनौती क्या बनती है। हां अगर केंद्रीय जांच एजेंसी की सक्रियता बढ़ती है तो वह बड़ी चुनौती के साथ मुसीबत भी बन सकती है ।


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