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सुब्बुलक्ष्मी की जन्मशती के मौके पर स्मारक सिक्के जारी

भारत रत्न से सम्मानित महान गायिका एम एस सुब्बुलक्ष्मी की जन्मशती के मौके पर उनकी याद में आज यहां दो स्मारक सिक्के जारी किये गये

सुब्बुलक्ष्मी की जन्मशती के मौके पर स्मारक सिक्के जारी
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नयी दिल्ली। भारत रत्न से सम्मानित महान गायिका एम एस सुब्बुलक्ष्मी की जन्मशती के मौके पर उनकी याद में आज यहां दो स्मारक सिक्के जारी किये गये। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सभागार में आयोजित एक समारोह में सुब्बुलक्ष्मी की स्मृति में सौ रुपए अौर दस रुपए मूल्य के चांदी के दो सिक्के जारी किये।

इस अवसर पर संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा, कला केन्द्र की न्यासी पद्म विभूषण से अलंकृत विख्यात नर्तकी सोनलमान सिंह, संस्कृति सचिव रश्मि वर्मा तथा कला केन्द्र के सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी आदि उपस्थित थे। नायडू ने भारतीय संगीत परंपरा में सुब्बुलक्ष्मी के योगदान को याद करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, चक्रवती राजगोपालाचारी और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसी विभूतियां भी श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी से अत्यंत प्रभावित थीं। इतना नहीं भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने स्वयं श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी को भारत की कोकिला कहा था।

उन्होंने कहा कि सुब्बुलक्ष्मी की प्रशंसा स्वर कोकिला लता मंगेशकर और महान शास्त्रीय गायक बड़े गुलाम अली ख़ान ने भी की थी और उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के स्वर्णजयंती समारोह में गायन का गौरव हासिल हुआ था। उन्हें संगीत के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिये रमन मैगसेसे पुरस्कार भी मिला था। इस महान गायिका ने तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिन्दी समेत सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में असंख्य गीत गाये थे।

मीराबाई का भजन ‘भज गोविन्दम्’ और गांधी जी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने रे कहिये, जे पीर पराई जाणे रे’ को भी उन्होंने स्वर दिया था जिससे गांधी जी बहुत प्रभावित हुए थे। इससे पहले डॉ. शर्मा ने कहा कि सुब्बुलक्ष्मी ने पूरी दुनिया में भारत की पहचान बनायी थी। वह मात्र एक गायिका नहीं थीं बल्कि गायन का संविधान थीं। वह लाखों संगीत साधकों एवं संगीत प्रेमियों की प्रेरणास्रोत थीं।

वह अपनी वसीयत का खज़ाना छोड़ कर गयीं हैं जिसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। समारोह के उपरांत उपराष्ट्रपति ने श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी पर एक चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और चित्रों का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम में श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी के पौत्र श्री श्रीनिवासन एवं अन्य परिजन भी मौजूद थे।


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