नवम्बर बनेगा दिल्ली पुलिस के लिए चुनौतियों का महीना
नवम्बर माह दिल्ली पुलिस के लिए एक नई तरह की चुनौती लेकर आया है।
नई दिल्ली (देशबन्धु)। नवम्बर माह दिल्ली पुलिस के लिए एक नई तरह की चुनौती लेकर आया है। चुनौती शीतकालीन सत्र के दौरान यहां होने वाले प्रदर्शन हैं। अभी तक जंतर-मंतर पर सभी धरने निपट जाया करते थे, जिससे रास्ता भी जाम नहीं होता था।
पहले अधिकांश आंदोलनों में हिस्सा लेने वालों की संख्या सीमित होती थी। जिस कारण पुलिस को कोई खास परेशानी नहीं उठानी पड़ती थी, पर अब परिदृश्य बदल चुका है। जंतर-मंतर एनजीटी के आदेश के बाद खाली करा लिया गया है, अब होने वाले आंदोलनों से पुलिस को निपटना है। इस माह तीन बड़े आंदोलन होने वाले हैं, पहला देशभर के मजदूर संगठनों का महापड़ाव, दूसरा देशभर के किसान संगठनों की संसद, तीसरा भारतीय किसान यूनियन का संसद घेराव। तीनों की आंदोलन ऐसे हैं, जिसमें आने वाले आंदोलनकारियों की संख्या पुलिस के लिए परेशानी खड़ी करने वाले हैं। मजदूरों का महापड़ाव 9 नवम्बर से शुरू होकर 11 नवम्बर तक तीन दिन चलेगा। इस आंदोलन में देश के 10 बड़े मजदूर संगठन हिस्सा ले रहे हैं, इसका अभियान देशभर में चलाया जा रहा है।
किसान संगठनों ने भी मजदूरों के इस आंदोलन को अपना सहयोग देने की घोषणा कर दी है, दूसरी तरफ मजदूर संगठन 'सीटू' ने जो अपना घोषणा-पत्र जारी किया है, उसमें उन्होंने किसानों की मांग को भी शामिल किया है। 'सीटू' नेता सिंधू बताती हैं, पहले तो पुलिस संसद मार्ग पर अनुमति देने को तैयार नहीं थी, पर जब मजदूर संगठनों ने यह कहा कि अनुमति न मिलने पर अगर दिल्ली जाम होती है, तो उसकी जिम्मेदारी पुलिस की होती, तो पुलिस ने कुछ शर्तों को साथ अनुमति दे दी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की संख्या पांच हजार रखने और शाम को संसद मार्ग खाली करने की बात कही है। मजदूर संगठनों ने फिलहाल तो मांग मान ली है, पर जिस तरह अभियान चल रहा है और मजदूरों में जो नाराजगी है, उसे देखते हुए संख्या को सीमित रखना मजदूर संगठनों के बस में नहीं है।
अमूमन यही स्थिति किसानों की संसद के साथ भी है, 186 किसान संगठनों ने मिलकर जो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया है, वह देशभर में अलग-अलग राज्यों में 6 यात्राएं निकाल चुका है। किसान नेता कहते हैं, कि उनका आंदोलन भी संसद मार्ग पर ही होगा। हालांकि अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा दिया जा रहा पांच दिवसीय धरना आईटीओ के पास शहीद पार्क पर दिया जा रहा है, वहां संख्या सीमित है, इसलिए उन्होंने पुलिस ने अनुमति भी नहीं ली है, पर किसान संसद के साथ ऐसा नहीं होने वाला। 20 नवम्बर से शुरु होने वाली यह संसद कब तक चलेगी, यह तय नहीं है। भारतीय किसान यूनियन का आंदोलन पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी करेगा, क्योंकि अगर पुलिस उन्हें अनुमति नहीं देगी, तो वे दिल्ली को जाम कर सकते हैं, ऐसा वे पहले कई बार कर भी चुके हैं। दूसरा उनके साथ आने वाले किसान अपने साथ राशन पानी लेकर आते हैं।


