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ऊर्जाधानी में फल-फूल रहा मनी लॉड्रिंग का कारोबार?

 ऊर्जा की नगरी कोरबा में काले धन को सफेद करने का कारोबार मनी लॉड्रिंग काफी तेजी से फल-फूल रहा है

ऊर्जाधानी में फल-फूल रहा मनी लॉड्रिंग का कारोबार?
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कोरबा। ऊर्जा की नगरी कोरबा में काले धन को सफेद करने का कारोबार मनी लॉड्रिंग काफी तेजी से फल-फूल रहा है। कटघोरा इस कारोबार का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है तो यहां के कुछ तथा कथित बड़े व्यापारी इसका संचालन कोरबा सहित आसपास के करीब आधा दर्जन जिलों के ठेकेदारों व सप्लायरों के साथ मिलकर कर रहे हैं। काफी गोपनीय तरीके से इस कारोबार में लाखों-करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह कारोबार पिछले कुछ वर्षों से काफी जोर पकड़े हुए है और केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद इसमें काफी उछाल आया है। बताया जा रहा है कि कटघोरा के बड़े व्यापारी इस कारोबार में गहरे से जुड़े हुए हैं। कोरबा के अलावा बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा, रायगढ़, अंबिकापुर, सूरजपुर, जशपुर तक के बड़े ठेकेदार और सप्लायर अपनी रकम यहां सफेद करवा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जीएसटी लागू होने के बाद ठेकेदारों व सप्लायरों के जरिए इस कारोबार को और भी व्यापक रूप दिया गया है और औसतन 50 लाख से 1 करोड़ की मनी लॉड्रिंग हो रही है।

सूत्र बताते हैं कि किसी ठेकेदार अथवा सप्लायर को 20 लाख का चेक उसके कार्य के एवज में संस्थान द्वारा प्रदाय किया जाता है तो उस चेक को संबंधित फर्म के बैंक खाता में जमा करने पर निकासी के वक्त लगभग 18 प्रतिशत जीएसटी काटकर भुगतान प्राप्त होगा। कथित ठेकेदार अथवा सप्लायर इस कटौती से बचने के लिए उक्त चेक को मनी लॉड्रिंग का कारोबार करने वाले के पास ले जाते हैं और मात्र 2 प्रतिशत की कटौती कर शेष रकम नगद में प्राप्त कर लेेते हैं। इस तरह मनी लॉड्रिंग करने वाले को 2 प्रतिशत का लाभ होता है और कथित ठेकेदार व सप्लायर का सीधे 16 प्रतिशत जीएसटी कटने से बच जाता है।

अधिकारियों से सांठ-गांठ

सूत्र बताते हैं कि मनी लॉड्रिंग करने वाला उक्त ठेकेदार अथवा सप्लायर से प्राप्त 20 लाख का चेक कैश कराने के लिए उसके फर्म से मिलते-जुलते नाम का एक खाता संबंधित बैंक की दूसरी ब्रांच में खुलवाता है। खाता खोलने के बाद उक्त राशि के चेक को ड्राप बाक्स में डाल दिया जाता है और प्रक्रियाओं से गुजर कर राशि खाता में जमा होने पर उसे तत्काल निकाल लिया जाता है।

इसके बाद उक्त खाता में कोई लेन-देन नहीं होता। इस पूरे कारोबार में चालाकी की जाती है कि बैंक में नए खुलने वाले खाता को जीएसटी से लिंकअप नहीं कराया जाता और बैंक के कुछ कर्मियों को चढ़ावा देकर मनी लॉड्रिंग के कर्ताधर्ता एक बड़े राजस्व की हानि सरकार को पहुंचा रहे हैं।

अवैध कारोबारियों को सीधे लाभ

यहां उल्लेखनीय है कि ऊर्जाधानी में कोयला, डीजल चोरी, कबाड़ के अवैध कारोबार भी बड़े पैमाने पर पैर पसारे हुए हैं। इन धंधों में संलिप्त लोगों का नेटवर्क और ऊंची पहुंच के कारण पुलिस के हाथ भी सिर्फ छोटे मोहरों तक ही पहुंचते रहे हैं। ऐसे मामलों में किसी भी बड़े कारोबारी के गिरेबान तक हाथ नहीं पहुंचे, जो विचारणीय है।

ऐसे अवैध कारोबारियों के द्वारा भी मनी लॉड्रिंग करने वालों के साथ सांठ-गांठ कर अपने काले धन को सफेद बनाने का काम किया जा रहा है। यह सब कुछ काफी गोपनीय तरीके से हो रहा है। इनका नेटवर्क पकड़कर ध्वस्त करना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।


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