बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रुपइया
बाप बड़ा न भइया सबसे बड़ा रुपइया। यह कहावत बसपा सुप्रीमो पर कुछ हद तक सटीक बैठ रही है
गजियाबाद। बाप बड़ा न भइया सबसे बड़ा रुपइया। यह कहावत बसपा सुप्रीमो पर कुछ हद तक सटीक बैठ रही है। लोकसभा चुनाव और फिर उप्र में करारी हार के बाद भी बसपा का नोट कल्चर बिलकुल नहीं बदला है। नोट नहीं देने पर जिला अध्यक्ष को बेशक बदलना हो। रविवार को गाजियाबाद में तो बसपा कार्यकर्ताओं ने बसपा कार्यालय पर प्रदर्शन कर ऐसे नारे लगाए कि लोग दंग रह गए। नारे में कार्यकर्ता बोल रहे थे कि बेशक मिले न वोट, टिकट के बदले नहीं देंगे नोट।
लोनी के अलावा मुरादनगर और खोड़ा से आए बसपा कार्यकर्ताओं ने राजनगर स्थित कार्यालय पर ऐसा उग्र प्रदर्शन किया कि दो दिन पहले ही बनाए गए जिला अध्यक्ष प्रेमचन्द को पुलिस बुलानी पड़ी। मारपीट तक की नौबत आ गई। कुछ नेताओं के बीच गाली-गलौच भी हुई। यह प्रदर्शन बसपा से पूर्व जिला अध्यक्ष रामप्रसाद प्रधान को बर्खास्त किए जाने के विरोध में किया गया। साथ ही कार्यकताओं ने खुलासा किया कि नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद के चेयरमैन के टिकट के लिए मोटी रकम संगठन फंड के नाम पर मांगी जा रही है। मेयर के टिकट के लिए तो एक रकम तय कर दी गई है।
इतना ही नहीं पार्षद तक के टिकट के लिए पैसा मांगे जाने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि संगठन फंड के नाम पर सभी नेताओं से उप्र से 72 करोड़ रुपए एकत्र करने का लक्ष्य कुछ खास कलैक्शन एजेन्टों को दिया गया है। ये एजेन्ट रोज दस-बीस नेताओं के घर पैसा लेने पहुंच रहे हैं। शहर के करीब 22 नेताओं ने पैसा मांगे जाने की बात स्वीकारी है। पर किसी ने अब तक फूटी कौड़ी नहीं दी है। लोनी के बसपा नेता मनवीर गूर्जर ने रविवार को खुलकर मीडिया के सामने पैसा बटौरने की बात कही। 72 करोड़ के लक्ष्य को लेकर अब कई नेता जो चुनाव लड़ने की तैयारी में थे पीछे हटने लगे है।
बताया गया है कि बसपा सुप्रीमों के कुछ खास एजेन्ट अभी भी टिकट के बदने पैसा खुलकर मांग रहे है। यही वजह है कि बसपा का वोट बैंक ही नहीं जनाधार भी खिसक रहा है। अब तो बसपा नेताओं ने ही बसपा को तार-तार करने का इंतजाम कर दिया है। बताया गया है कि रामप्रसाद प्रधान को भाजपा नेताओं के साथ भंडारा करने के आरोप में पार्टी से बाहर किया गया है।


