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बीते 55 वर्षों में एएमयू समारोह में हिस्सा लेने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे मोदी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना दिवस के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो रहे हैं

बीते 55 वर्षों में एएमयू समारोह में हिस्सा लेने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे मोदी
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नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना दिवस के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 55 साल में ये पहला मौका है, जब कोई प्रधानमंत्री विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। कोरोना संक्रमण के कारण 22 दिसंबर को होने वाला यह शताब्दी समारोह वर्चुअल तरीके से आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले, 55 वर्ष पूर्व 1964 में लाल बहादुर शास्त्री, प्रधानमंत्री रहते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यह शताब्दी समारोह 22 दिसंबर को आयोजित होगा। 1875 में सर सैयद अहमद ने मुहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज को स्थापित किया था। एक दिसंबर 1920 को यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील हुआ। 17 दिसंबर 1920 को विश्वविद्यालय के रूप में उद्घाटन हुआ था।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' भी शिरकत करेंगे। इसके अलावा विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों, प्रोफेसर्स एवं कर्मचारियों सहित कई शिक्षाविदों को भी शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा है कि प्रधानमंत्री की उपस्थिति से देश और दुनिया में फैले एएमयू समुदाय को एक महत्वपूर्ण संदेश मिलेगा। समारोह में भाग लेने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सहित विभिन्न प्रमुख हस्तियों को भी आमंत्रित किया गया है। विश्वविद्यालय के समुदाय, कर्मचारियों, सदस्यों, छात्रों और पूर्व छात्रों से आगामी कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी की अपील की गई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कुलपति ने एएमयू शताब्दी कार्यक्रम को राजनीति से ऊपर रखने की अपील भी की है। कुलपति तारिक मंसूर ने सभी स्टाफ सदस्यों, छात्रों, पूर्व छात्रों और शुभचिंतकों से अपील की है कि वे प्रोग्राम में सक्रिय रूप से भागीदारी करें। साथ ही उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम राजनीति से ऊपर रहना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मिलाद उन नबी, गांधी जयंती राजनीति से ऊपर हैं।


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