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मोदी 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे फिर गुजरात की गरीबी छिपाने की नौबत क्यों: शिव सेना

शिव सेना ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गुजरात दौरे के दौरान झोपड़ियां छिपाने के प्रयासों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि श्री नरेन्द्र मोदी 15 वर्ष राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं फिर वहां की गर

मोदी 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे फिर गुजरात की गरीबी छिपाने की नौबत क्यों: शिव सेना
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मुंबई। शिव सेना ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गुजरात दौरे के दौरान झोपड़ियां छिपाने के प्रयासों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि श्री नरेन्द्र मोदी 15 वर्ष राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं फिर वहां की गरीबी दूर क्यों नहीं हुई।

शिव सेना के मुख पत्र सामना के सोमवार के के संपादकीय में लिखा गया है कि श्री ट्रंप अहमदाबाद हवाईअड्डे पर उतरेंगे और उन्हें सड़क मार्ग से ले जाया जायेगा। श्री ट्रंप के तीन घंटे के दौरे के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। सत्रह सड़कों पर नया काम चल रहा है और सड़क के किनारे बने झोपड़ों को ढकने के लिए ऊंची-ऊंची दीवारें उठायी जा रही हैं।

शिव सेना ने कटाक्ष करते हुए लिखा है कि श्री ट्रंप की नजर से गुजरात की गरीबी और झोपड़े बच जाएं इसके लिए यह ‘राष्ट्रीय योजना’ हाथ में ली गयी है।

संपादकीय में कहा गया है कि सवाल सिर्फ इतना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकास पुरूष हैं और उनसे पहले किसी ने विकास नहीं किया और शायद बाद में भी कोई विकास नहीं करेगा। श्री मोदी गुजरात में 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे और पांच वर्ष से प्रधानमंत्री हैं फिर भी गुजरात की गरीबी और बदहाली छुपाने के लिए दीवार खड़ी करने की नौबत क्यों आयी। इस तरह का सवाल अमेरिका की मीडिया भी पूछ सकती है।

देश में लोकसभा चुनाव से पहले अमेरिका में “हाऊडी मोदी” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें श्री मोदी की जयकार करने के लिए श्री ट्रंप ने हिस्सा लिया था और अब अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है, गुजरात में सब कुछ ‘फीट्टमफाट’ कह कर “केम छो ट्रंप” कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह सीधे एक राजनीतिक योजना है। अमेरिका में बड़े पैमाने पर गुजराती लोग रहते हैं, इसलिए उन्हें आकर्षित करने के लिए श्री ट्रंप के हित में “केम छो ट्रंप” का खेल रचा गया है।

संपादकीय में कहा गया है कि हमारा देश विविधिता से भरा हुआ है, इसे श्री ट्रंप को समझना होगा। पहले ‘गरीबी हटाओ’ के नारे का उपहास हुआ था और उसी घोषणा का रूपांतरण अब ‘गरीबी छुपाओ’ में दिख रहा है।


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